मिशन वात्सल्य एवं मिशन शक्ति के तहत रौन में संवेदीकरण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

भिण्ड, 09 अक्टूबर। कलेक्टर भिण्ड के मार्गदर्शन एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी के निर्देशन में मिशन वात्सल्य एवं मिशन शक्ति के तहत जनपद रौन के शाइनिंग ग्लोरियस पब्लिक उमावि में संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग से बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना, आउटरीच कार्यकर्ता दीपेन्द्र शर्मा, विद्यालय के संचालक उमेश राजावत, प्राचार्य अरुण सिंह भदौरिया, समस्त स्टाफ एवं छात्र उपस्थित रहे।
बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना ने कार्यक्रम में किशोर न्याय अधिनियम के तहत जानकारी देते हुए बताया कि किशोर न्याय अधिनियम बालकों से संबंधित एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसमें पहली बार बालक को परिभाषित किया गया है, इसके अनुसार 18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति बालक समझा जाएगा। कानून में केवल बालक शब्द का उपयोग किया गया है, जो बालक और बालिकाओं दोनों के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किशोर न्याय अधिनियम में विधि विवादित और देखरेख के संरक्षण की जरूरत मंद बालक के संबंध में उनके संरक्षण और पुनर्वास की संपूर्ण प्रक्रिया है। ऐसे बालक जिनके द्वारा किन्हीं परिस्थितियों में कानून के विपरीत आचरण किया गया है, उन्हें विधि विरोधी बालकों की संज्ञा दी गई है, उनके संरक्षण पुनर्वास और सुधार के लिए बाल संप्रेषण ग्रह और विशेष ग्रह संचालित है। देख-रेख एवं संरक्षण की जरूरत मंद बालक से तात्पर्य है ऐसा बालक जो कठिन परिस्थितियों में रह रहा है, प्राकृतिक आपदा का शिकार, सड़क पर रहने वाला, अथवा ऐसे माता-पिता के पास रहने वाला जो उसका संरक्षण करने में सक्षम नहीं हैं, बालक के जैविक अथवा दत्तक माता-पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, संरक्षण की जरूरत में शामिल होते हैं, ऐसे बालकों के लिए उनकी आयु अनुसार शिशु गृह बाल गृह संचालित है, शिशु गृह में जन्म से 6 वर्ष तक के बालक बालिकाओं को संरक्षण किया जाता है, जहां उनका देख-रेख रहना एवं दत्तकग्रहण की कार्रवाई की जाती है। बालगृह में 6 से 18 वर्ष के बालक को रखा जाता है, शासन द्वारा बाल गृह बालक और बालिका पृथक-पृथक गृह संचालित किए जाते हैं। संस्थागत संरक्षण में बालकों को शिक्षा स्वास्थ्य निवास सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है और यह बाल अधिकारों का ही तात्पर्य है कि ऐसे बालक जिनके किसी कारण से बाल अधिकारों का हनन हुआ है, संस्थागत संरक्षण में यह प्रयास किया जाता है कि बालकों के सभी अधिकार यथा विकास का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, सहभागिता का अधिकार, वैकल्पिक देख-रेख का अधिकार की सुरक्षा हो सके कोई भी व्यक्ति अथवा बालक जिसे यह लगता है कि उसके बाल अधिकारों का हनन हो रहा है, वह चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर कॉल कर सकता है, जिले की बाल कल्याण समिति महिला एवं बाल विकास विभाग से संपर्क कर सकता है।
कार्यक्रम में चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर कॉल करके भी छात्रों को डेमो दिखाया गया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया और आयोजित क्विज प्रतियोगिता में सही जवाब देने वाले छात्राओं को पुरस्कृत किया। सभी को प्रशिक्षण सामग्री प्रदाय की गई।