भिण्ड, 07 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष के अवसर पर मेहगांव में विजयादशमी और शस्त्र पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवकों ने गणवेश में उपस्थित रहकर नगर में पथ संचलन निकाला। संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर बढ़े चलो भला हो जिसमें देश का वह काम सब किए चलो। जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है एवं भारत माता की जय घोष के साथ नगर के मुख्य मार्गों पर पथ संचलन निकाला गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मध्यभारत प्रांत के प्रांत प्रचारक विमल गुप्ता उपस्थित रहे। उन्होंने अपने उद्वोधन में कहा कि सभी हिन्दू सहोदर हैं, कोई भी हिन्दू छोटा बड़ा नहीं है, छोटे बड़े का रंग रूप, भाषा का भेद नहीं होना चाहिए, पूरे हिन्दू समाज को संगठित रहना चाहिए। शक्ति से ही समाज व राष्ट्र की रक्षा संभव है। संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है, 1925 में विजयादशमी के दिन संघ कि स्थपाना हुई थी, तब से लेकर आज तक संघ उपेक्षा उपहास और तीन बार प्रतिबंध जैसी कई अग्नि परीक्षाओं से गुजरता हुआ आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन गया है। संघ के स्वयंसेवक नि:स्वार्थ भाव से समाज एवं राष्ट्र के कल्याण के लिए कार्य करते हैं, देश पर जब जब संकट तो संघ के स्वयंसेवक सदैव प्रथम पंक्ति में तैयार खड़े रहे।
उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना का उद्देश आत्म विस्मृत हिन्दू समाज को जो अपने गौरव को भूल गया था, उन्हें संगठित कर अनुशासन और देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण करते हुए भारत को पुन: परम वैभव पर ले जाने का कार्य है। संघ ने सामाजिक समरसता आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय एकात्मता की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किए हैं। शताब्दी वर्ष में व्यक्ति निर्माण का कार्य देश में भौगोलिक दृष्टि से सर्वव्यापी हो तथा सामाजिक आचरण में सहज परिवर्तन लाने वाला पंच परिवर्तन कार्यक्रम स्वयं सेवकों के उदाहरण से सर्वव्यापी बनें शताब्दी वर्ष में संघ का प्रयास रहेगा कि संघ के पंच परिवर्तन के माध्यम से आज हम सबको पर्यावरण के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें स्वभाषा, स्वभूषा पर गर्व होना चाहिए सामाजिक समरसता हर व्यक्ति के आचरण में होना चाहिए सभी हिन्दू समान है, कोई अछूत नहीं है ऐसा भाव हम सबके मन में होना चाहिए।
कुटुंब प्रबोधन में उन्होंने कहा कि हम सबको अपने परिवार के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए, नागरिक कर्तव्य हमे पता होना चाहिए हम सबको अनुशासन में रहकर संविधान के नियमों का पालन करना चाहिए। इन पांच विषयों में व्यक्ति व परिवार कृतिरूप से स्वयं के आचरण में परिवर्तन लाने में सक्रिय हो और समाज में अनेक उदाहरण का अनुकरण हो, ऐसा प्रयास हम सभी को मिलकर करना है। वर्तमान समय में हमारा कर्तव्य इस अखण्ड ज्योति को प्रचलित रखते हुए समाज में फैले तमस को दूर करना है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इस अहम से वहम की यात्रा में हम सब स्वयं सेवक जीवन को एक ध्येय के लिए समर्पित करते हुए भारत माता को परम वैभव के सिंहासन पर आसीन कर अपना जीवन सार्थक करें।