भिण्ड, 06 अक्टूबर। विश्व गीता प्रतिष्ठानम् के गीता संस्कृत स्वाध्याय मण्डल भिण्ड द्वारा निरंतर चलाए जा रहे ‘घर-घर गीता का प्रचार हो’ जन अभियान के अंतर्गत फल मण्डी स्थित अमित सिंह राजावत के आवास पर गीता स्वाध्याय पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य यजमान अमित सिंह राजावत ने भगवान कृष्ण के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण किया। जिला संयोजक विष्णु कुमार शर्मा ने सामूहिक रूप से स्वरबद्ध स्वाध्याय पत्र का वाचन किया, प्रमोद मिश्रा ने राजा भरतरी द्वारा रचित सुभाषित श्लोक की विस्तार पूर्वक व्याख्या की। शैलेश सक्सेना ने सार गर्भित रूप से प्रेरक प्रसंग सुनाकर सभी को उसे प्राप्त होने वाली शिक्षा के महत्व को बताया।
गीता के छठवें अध्याय के 11वे श्लोक से 19वे श्लोक तक की विशद व्याख्या ज्ञानेन्द्र सिंह ने की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार एक योगी योगाभ्यास करें, एक योगी उचित आसन पर बैठकर मन, इन्द्रियों का संयम करे, भोग वस्तुओं का संग्रह ना करे, अपने आचार विचार को युक्त रखे, ना ज्यादा खाए न कम, ना अधिक निद्रावान हों ना ही कम निद्रा लें, कुश को बिछाकर उसके ऊपर वस्त्र बिछाएं और स्थिर आसन में बैठकर नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि रखकर अपने चित्त को परमात्मा में प्रतिष्ठित करें। इन्द्रियों को भोग आदि विषयों में भटकाने वाला जीव योग साधना में प्रविष्ट नहीं हो सकता। मोक्ष की सरस और सरलतम व्याख्या करते हुए बताया कि ‘ममेतिÓ मेरा है यह कहना ही बंधन है और ‘निर्ममेतिÓ मेरा नहीं है यही कहना और जानना मुक्ति है, मुक्ति जीवन का विषय है ना के मरने के बाद का।
नितिन दीक्षित ने नियमित गीता का अध्ययन करने का आह्वान किया। उन्होंने गीता के महत्व पर भी प्रकाश डाला तथा आज जो गीता के श्लोक का पाठ हुआ उनका प्रभावशील सार प्रस्तुत किया। जिला संयोजक विष्णु कुमार शर्मा ने अधिक से अधिक संख्या में गीता अभियान से जुड़ने का आग्रह किया। मां गीता की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर आदित्य चौहान, महेन्द्र दीक्षित, राजेन्द्र भदौरिया, आनंद त्रिपाठी, महेश दुबे, दुर्गादत्त शर्मा, बृजेश शर्मा, रविन्द्र सिंह कुशवाह फौजी, योगेन्द्र चौहान, अर्जुन राजावत, विमल श्रीवास्तव, सुमित शर्मा, नीरज त्रिपाठी, सरला राजावत, राजकुमारी राजावत, रोली, बेबी, अर्जित राजावत, अंजलि आदि उपस्थित रहे।