सौतेली पुत्री के साथ दुष्कर्म, आरोपी को 20 वर्ष की सजा

न्यायालय ने कहा- जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो अभियोक्त्री क्या कर सकती है

रायसेन, 01 अगस्त। अनन्य विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012) जिला रायसेन की अदालत ने सौतेली पुत्री के साथ दुष्कर्म करने के वाले आरोपी जमना प्रसाद रावत उम्र 32 वर्ष निवासी ग्राम गुधर कोटरा, थाना ग्यासपुर जिला विदिशा, हाल ग्राम रमासिया थाना कोतवाली रायसेन को बीएनएस की धारा 64(2)(एफ) में 20 वर्ष कठोर कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी रायसेन श्रीमती भारती गेडाम ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी जिला रायसेन श्रीमती किरण नंदकिशोर के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 30 अगस्त 2024 को रात्रि नौ बजे अभियोक्त्री ने थाना कोतवाली रायसेन में शिकायत की कि उसके सगे पिता की मृत्यु हो चुकी है, अभियुक्त उसका सौतेला पिता है तथा उसके 4 भाई-बहन में वह सबसे बड़ी है। आज सुबह 4 बजे उसकी मां काम चली गई, घर पर उसके सौतेले पिता और सभी भाई-बहन थे। दिन में एक बजे उसके सौतेले पिता ने सभी भाई-बहन को बाहर खेलने के लिए भेज दिया और दरवाजे पर पर्दा लगाकर उसे जमीन पर लिटाकर गलत काम (दुष्कर्म) किया, जिससे उसे दर्द हुआ। सौतेले पिता (अभियुक्त) ने उससे कहा कि यदि उसने यह बात किसी को बताई तो वह उसकी गर्दन काट देगा। इससे पहले पिछले 15 दिनों में उसके सौतेले पिता ने उसके साथ तीन बार गलत काम किया था, उसने डर के कारण यह बात अपनी मां को नहीं बताई थी। आज शाम 5 बजे उसकी मम्मी काम पर से घर आई तो उसने उन्हें सारी बात बताई। अभियोक्त्री की शिकायत पर से थाना रायसेन में अपराध कायम कर एफआईआर लेखबद्ध की गई। जांच के दौरान अनुसंधान अधिकारी ने घटना स्थ्ल पर जाकर नक्शा मौका, वीडियोग्राफी, पंचनामा बनाया। अभियोक्त्री के कथन लेखबद्ध किए गए एवं उसका डीएनए परीक्षण कराया गया, जिसमें रिपोर्ट सकारात्मक प्राप्त हुई। प्रकरण की संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य एवं दलीलों के आधार पर न्यायालय ने विचारण उपरांत न्यायालय द्वारा कहा कि ‘जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो अभियोक्त्री क्या कर सकती है।’ न्यायालय ने अभियोजन साक्षियों की साक्ष्यि विश्वश्नीय पाई जाने एवं डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव प्राप्त होने के आधार पर यह प्रमाणित माना कि अभियोक्त्री के साथ उसके सौतेले पिता (अभियुक्त जमनाप्रसाद) ने ही दुष्कर्म किया है। उक्त के आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।