खाद्य पदार्थ की हानि एवं भोजन की बर्वादी को लेकर हमें जन-जन को जागरूक करने की आवश्यकता: पूर्व मुख्य सचिव डॉ. आर परशुराम

डब्ल्यूआरआई इंडिया एवं ईपीसीओ के संयुक्त तत्वाधान में खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी को लेकर कार्यशाला आयोजित

ग्वालियर, 27 फरवरी। भारत में भोजन की बर्बादी के अनेक कारण हैं, जिनमें व्यक्तिगत और सामाजिक कारक शामिल हैं। इसलिए, भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर उपायों की जरूरत है। बडे शहरों में भोजन की बर्वादी अधिक होती है। हमें सबसे ज्यादा कार्य भी बडे शहरों में करना है। हमें अधिक से अधिक जन जागरूकता फैलाना है। यह विचार पूर्व मुख्य सचिव डॉ. आर परशुराम ने रेडिसन होटल में आयोजित खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी कार्यशाला में व्यक्त किए। डब्ल्यूआरआई इंडिया एवं ईपीसीओ के संयुक्त तत्वाधान में ग्वालियर में खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी में कमी लाने के लिये जिला स्तरीय रणनीतियां बनाने के उद्देश्य से संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें संभागीय आयुक्त मनोज खत्री, नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय सहित अन्य अधिकारी एवं सामाजिक संस्थाएं उपस्थित रहीं।
संभागीय आयुक्त मनोज खत्री ने संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भोजन की वर्वादी आमजन की आदत बन चुकी है। आज के समय में भोजन की वर्वादी एक बडा मुद्दा बनता जा रहा है। क्योंकि शहरों की आवादी बढती जा रही है और कृषि की जमीनें कम होती जा रही हैं। आने वाले दिनों में भुकमरी ही सबसे बडा मुद्दा होगा। हमें भोजन की बर्वादी को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। अधिक से अधिक जनजागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करने होंगे।
निगमायुक्त संघ प्रिय ने कहा कि फूड लॉस एण्ड फूड वेस्ट वास्तव में हमारी खाद्य प्रणाली की सततता की एक महत्वपूर्ण थीम है और इस पर आज से ही ध्यान देने की जरूरत है। फूड लॉस एण्ड फूड वेस्ट में कमी लाने से खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और पानी तथा भूमि जैसे संसाधनों पर कई सकारात्मक प्रभाव पडते हैं। साथ ही इससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आती है। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि इस संवाद कार्यक्रम के माध्यम से ग्वालियर में इस एजेंडा को सुव्यवस्थित तरीके से आगे बढाने के लिये और भी ज्यादा गहन विचार-विमर्श और कार्रवाई की जाएगी।
ग्वालियर मप्र का चौथा सबसे बडा शहर है और इसने सतत वेस्ट प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने, स्वास्थ्य और स्वच्छता के बेहतर मानकों को सुनिश्चित करने और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के प्रयासों के तहत कई कदम उठाए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में ग्वालियर 37 पायदान ऊपर चढकर भारतीय शहरों (एक लाख से अधिक जन संख्या वाले शहर) की रैंकिंग में 16वें स्थान पर पहुंच गया हैं। इसके साथ ही ग्वालियर, इंदौर और भोपाल के बाद मध्य प्रदेश का तीसरा सबसे साफ शहर बन गया।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के अंतर्गत ग्वालियर को कचरा मुक्त शहरी (जीएफसी) प्रमाणीकरण 3 स्टार रेटिंग दी गई और यह स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में 5 स्टार रेटिंग प्राप्त करने की दिशा में कार्य कर रहा है। वेस्ट टू वेल्थ की अपनी परिकल्पना को साकार करने के लिए हमने बायो सीएनजी प्लांट के साथ भारत की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला शुरू की है। यह प्लांट 100 टन गोबर का उपयोग करके प्रतिदिन 3 टन सीएनजी और 20 टन उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद का उत्पादन कर रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत कचरा मुक्त शहर की हमारी परिकल्पना पर कार्य को आगे बढाने के लिए हम स्वीकृत परियोजनाएं 350 टीपीडी बायो सीएनजी प्लांट 277 टीपीडी एमआरएफ, 3 लाख टीपीडी क्षमता की रीजनल सेनेटरी लैंडफिल एवं 100 टीपीडी सी एंड डी प्लांट के निर्माण की योजना बना रहे हैं। इसके अतिरिक्त दो नवीन परियोजनाएं वेस्ट टू एनर्जी एवं तीन ट्रांसफर स्टेशनों का निर्माण प्रस्तावित है। हम ग्वालियर के नागरिकों से भी आग्रह करते हैं कि वे स्त्रोत पर ही अपशिष्ट का पृथक्करण करने तथा पॉलिथीन का उपयोग बंद करने में नगर निगम का सहयोग करें।
ग्वालियर को ‘ईट राइट चैलेंज’ प्रतियोगिता में खाद्य पर्यावरण में सुधार लाने तथा जनसमुदायों को खाद्य सुरक्षा के बारे में शिक्षित करने की रणनीति लागू करने के प्रयासों के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर पांचवां स्थान दिया गया है। हमारे लिए यह कार्यशाला वेस्ट प्रबंधन के अंतर्गत फूड वेस्ट में कमी लाने पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने और इस पर चर्चा करने का एक अच्छा अवसर है। मेरा मानना है कि एक बढते हुए जिले के रूप में ग्वालियर के लिए खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए सतत प्रथाओं के साथ तालमेल बैठाना महत्वपूर्ण है। साथ ही यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए।
विभिन्न विभागों, उद्योगों और क्षेत्रों के हितधारकों के साथ इस सहभागिता से हमें प्रमुख चुनौतियों की पहचान करने, अच्छे तरीकों पर चर्चा करने और शहर में खाद्य हानि और भोजन की बर्वादी को कम करने के लिए तरीकों को आगे बढाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, व्यवहार में बदलाव और नागरिकों की सहभागिता से इस लक्ष्य की दिशा में दीर्घकालिक सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी और स्वच्छ तथा हरे-भरे ग्वालियर की हमारी परिकल्पना को मूर्त रूप देने में योगदान होगा। विविध हितधारकों की भागीदारी को संभव बनाना और विशेष रूप से रेजीडेंट्स एसोसिएशंस, रेस्टोरेंट्स और कैटरर्स जैसे थोक खाद्य उत्पादकों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल कर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।