ऊर्जा संरक्षण दिवस पर शा. उमावि मसूरी में कार्यक्रम आयोजित
भिण्ड, 14 दिसम्बर। ऊर्जा का उत्पादन नहीं किया जा सकता, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। हमारी ऊर्जा की जरूरतो को ध्यान में रखते हुए हमें ऊर्जा का अपव्यय रोकना चाहिए, जिससे हम अपने देश, समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए ऊर्जा का सदुपयोग कर सकते हैं। यह उदगार सामाजिक संस्था सुप्रयास के सचिव डॉ. मनोज जैन ने शा. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मसूरी में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि दैनिक जीवन में उपयोग के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, लेकिन दिनों-दिन इनकी बढती मांग प्राकृतिक संसाधनों के कम होने का भय पैदा करता है। ऊर्जा संरक्षण ही केवल एक ऐसा रास्ता है जो ऊर्जा के गैर-नवीनीकृत साधनों के स्थान पर नवीनीकृत साधनों को प्रतिस्थापित करता है। ऊर्जा उपयोगकर्ताओं को ऊर्जा की कम खपत करने के साथ ही कुशल ऊर्जा संरक्षण के लिए जागरुक करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों की सरकारों ने ऊर्जा और कार्बन के उपयोग पर कर लगा रखा है। उच्च ऊर्जा उपभोग पर कर ऊर्जा के प्रयोग को कम करने के साथ ही उपभोक्ताओं को एक सीमा के अन्दर ही ऊर्जा का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि लोगों को इस विषय पर अधिक जागरुक होना चाहिए कि कार्य स्थलों पर तेज रोशनी विभिन्न परेशानियों (बीमारियों) को लाती है जैसे- तनाव, सिरदर्द, रक्तचाप, थकान और कार्यक्षमता को कम करता है। जबकि प्राकृतिक प्रकाश कार्यकर्ताओं के उत्पादकता के स्तर को बढाता है और ऊर्जा की खपत को कम करता है।
इस अवसर पर सीमा भदौरिया ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों को ऊर्जा के महत्व के साथ ही साथ बचत और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरुक करना है। राजकरण यादव ने कहा कि पूरे भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों द्वारा हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों को ऊर्जा के महत्व के साथ ही साथ बचत, और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरुक करना है। सोनू चौकोरिया ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ है ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके कम ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना है। कुशलता से ऊर्जा का उपयोग भविष्य में उपयोग के लिए इसे बचाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण की योजना की दिशा में अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए हर इंसान के व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण निहित होना चाहिए।
प्रमोद भदोरिया ने कहा कि कोई भी ऊर्जा की बचत इसकी गंभीरता से देखभाल करके कर सकता है, दैनिक उपयोग के बहुत से विद्युत उपकरणों को जैसे- बिना उपयोग के चलते हुए पंखों, बल्बों, समरसेविलों, हीटर को बंद करके आदि। यह अतिरिक्त उपयोग की ऊर्जा की बचत करने का सबसे कुशल तरीका है जो ऊर्जा संरक्षण अभियान में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक संस्था सुप्रयास द्वारा किया गया था।