आईआईडीसी अधिकारियों की अनदेखी
भिण्ड, 19 सितम्बर। कैलाशवाशी माधवराव सिंधिया द्वारा चंबल संभाग के भिण्ड-मुरैना जिले के बामोर एवं मालनपुर क्षेत्र में उद्योग संचालित कर वर्ष 1989 के लगभग औद्योगिक केन्द्र विकास निगम का गठन किया गया। जिससे भिण्ड एवं मुरैना जिले के नौजवान बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। उस समय जिला कलेक्टर भिण्ड व एकेवीएन ग्वालियर दोनों ने संयुक्त रूप से किसानों की जमीन अधिग्रहण कर शासकीय रेट पर मुआवजा देकर कहा गया कि जिन परिवारों की जमीन उद्योगों में जाएंगी उन परिवार के एक व्यक्ति को कंपनी की तरफ से रोजगार दिया जाएगा। उद्योग क्षेत्र के तिलोरी, सिंघवारी, घिरोगी, मालनपुर, हरीरामपुरा गांव को गोद लेकर सीवर लाइन, लाइट, पानी, खरंजा आदि को विकास की गति में जोडा जाएगा। परंतु आज शायद कैलाशवासी माधवराव सिंधिया द्वारा लगाया गया उद्योग क्षेत्र रूपी पौधा घडियाल आंसू बहाता दिखाई दे रहा है। 30 वर्ष बाद भी इस उद्योग क्षेत्र मालनपुर में सौंदरीकरण के नाम पर आईआईडीसी वाले करोडों रुपए खर्च करने का वादा करते हैं। जबकि उद्योग क्षेत्र की कंपनियों से मेंटीनेंस के नाम पर करोडों रुपए वसूल किए जाते हैं, फिर भी धरातल पर यहां देखा जाए तो सौंदर्यीकरण, गांव का विकास, स्थानीय भू अर्जन खातेदारों, किसानों के परिवार के सदस्य भी बेरोजगार बने हुए हैं। जिस समय उद्योग स्थापित होकर उद्योग लगाए गए उसे समय 80 प्रतिशत बाहरी लोगों को रोजगार मिला, यहां के स्थानीय प्रतिनिधियों ने इसमें कोताही बरती। स्थानीय की जगह बाहरी बेरोजगारों को रोजगार दिया गया। स्थानीय लोग आज भी पांच प्रतिशत लोग कंपनी की तरफ से भी नहीं नौकरी, सब उद्योग प्रबंधकों ने ठेकेदारी में लगा दिए, जिससे ठेकेदारों को लाभ जरूर मिला। उद्योग क्षेत्र में संचालित फैक्ट्री से निगम सालाना करोडों रुपए मेंटीनेंस शुल्क जिसमें पानी, लाइट, नाली, सडक, ग्रीन बेल्ट आदि बसूलता है, फिर भी अपेक्षित व्यवस्था नहीं दे पाई। आईआईडीसी ना तो उद्योग क्षेत्र की सडक ही दुरुस्त कराई हैं, जिसमें जगह-जगह रोड खुदी पडी है। खम्बों में लाइट नहीं, जगह-जगह क्षेत्र में गंदगी के ढेर दिखाई देते हैं। सडकों के किनारे झाडियों के झुण्ड उनकी भी सफाई नहीं, वाहन चालकों को क्षेत्र में परेशानी का सामना करना पडता है। उद्योग क्षेत्र में पिलुआ, कुतवार डेम से आने वाला पानी फैक्ट्री के लिए पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है। रास्ते में दबंग लोगों के चलते पाइप लाइन तोडकर पानी का उपयोग करते हैं, परंतु उस पर भी रोकने में असफल हैं अधिकारी। जबकि 1311.272 हेक्टेयर क्षेत्रफल के अंतर्गत फैले उद्योग क्षेत्र मालनपुर की 836.955 हेक्टेयर जमीन पर उद्योग क्षेत्र स्थापित है। जिसमें फैक्ट्रियां संचालित हैं और 920.463 हेक्टेयर भूमि आवंटन योग्य है। वह जमीन खाली पडी है। जिसमें दबंग लोग खेती करते आ रहे हैं। इस उद्योग क्षेत्र में 80 किमी लंबी सडकों का जाल है, जो चारों तरफ फैला हुआ है, उनकी हालत इतनी खराब है कि रात्रि में वाहन चालक उद्योग इकाईयों से निकलने वाले मजदूर कई बार हादसे के शिकार बन चुके हैं सडकों के गड्डों की वजह से, जबकि इस समूचे मालनपुर उद्योग क्षेत्र में 2500 विद्युत पोल लगवाए हैं। जिसमें दो हजार पोलों में लाइट जलती है, 500 पोल अभी भी स्ट्रीट लाइट विहीन हैं, जिनका रख-रखाव एक ठेकेदार द्वारा किया जाता रहा है। मप्र में अन्य उद्योग क्षेत्र मण्डीदीप, पीतमपुर आदि भी लगे हैं, जिनको देखकर तो ऐसा लगता है कि मालनपुर क्षेत्र में करोडों रुपए उद्योग इकाईयों का पैसा मेंटीनेंस के नाम वसूलने वाला लगाया ही नहीं जा रहा, जबकि आईआईडीसी के महाप्रबंधक, कार्यकारी निदेशक का कहना है कि मालनपुर क्षेत्र 90 करोड रुपए के मरम्मत कार्य कराए गए हैं, अन्य विकास के साथ-साथ फिर चिन्हित कर उन्हें भी कराएंगे। एक फैक्ट्री प्रबंधन संतोष गर्ग का कहना है कि पूर्व में किया हुआ कार्य क्षतिग्रस्त हो चुका है, समय-समय पर मेंटीनेंस कराया जाए तो समस्या विकराल नहीं बनेगी, यही कारण है मालनपुर में अपेक्षित सुंदरीकरण गति में बाधा है।
इनका कहना है-
औद्योगिक क्षेत्र में मेंटीनेंस व विकास तो होते रहते हैं, परंतु अपेक्षा के अनुरूप न होने से कई जगह परेशानियों का सामना क्षेत्र की जनता, कामगारों को करना पड रहा है। इस क्षेत्र में सौंदरीकरण कहीं नजर नहीं आता है, सुधार की गति आवश्यक है।
मुकुल चतुर्वेदी, फैक्ट्री महाप्रबंधक, सूर्या रोशनी मालनपुर