दंदरौआ धाम के महंत रामदास महाराज हुए शामिल
भिण्ड, 27 जुलाई। दंदरौआ धाम आश्रम परिसर चित्रकूट में दंदरौआ धाम के महंत 1008 महामण्डलेश्वर रामदास महाराज के आशीर्वाद से परीक्षत लाखाराम मुदगल मेहगांव द्वारा गत 20 जुलाई से श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का आयोजन कराया गया। जिसका समापन बुधवार की शाम सुदामा चरित्र की कथा के साथ हुआ।
इस अवसर पर कथा व्यास पं. सुरेश शास्त्री मटियावली वाले ने वामन अवतार, जड भरत, श्रीकृष्ण जन्म, नंद महोत्सव, कृष्ण की बाल लीला, गोवर्धन पूजा, कृष्ण विवाह के वर्णन उपरांत भगवान श्रीकृष्ण एवं उनके बाल सखा सुदामा की मित्रता की कथा सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। अंतिम दिन उन्होंने बताया कि जहां मित्रता है वहां गरीब-अमीर का भेद-भाव नहीं रहता है। अत्यंत निर्धन होने के बावजूद जब सुदामा भगवान कृष्ण के महल पहुंचते हैं, तो उनकी दशा देख कर भगवान कृष्ण की आंखों में आंसू आ जाते हैं। अपनी रानियों के साथ सुदामा के पांव धोकर कृष्ण ने अपने बाल सखा के प्रति आदर भाव प्रदर्शित करते हुए सच्ची मित्रता का भाव प्रदर्शित किया। कृष्ण ने विश्वकर्मा को आदेश देकर सुदामा के गांव में महल बनाया। अपने मित्र को सर्वस्व सौंपने तक भगवान आतुर रहे।
बच्चों के संस्कार पर चिंता व्यक्त की
कथा के दौरान पं. सुरेश शास्त्री ने कहा कि आज-कल के माहौल में बच्चों को अच्छे संस्कार दे पाना माता-पिता के लिए मुश्किल होता जा रहा है। माता-पिता कितना भी समझा लें, बच्चे वही करते हैं जो उनका मन कहता है, लेकिन अगर शुरू से ही आप अपने बच्चों को समझें और उनका मार्गदर्शन करें, तो आपका बच्चा जरूर आपकी बात मानेगा। बच्चे जो भी व्यवहार करते हैं उसकी जडें बचपन से जुडी होती हैं। आज-कल ज्यादातर सभी की ऐसी आदत बन गई है, जिसमें लोग रात को देर से सोते हैं व सुबह देर से उठते हैं। यह बिल्कुल गलत आदत है, जिसका बुरा प्रभाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पडता है। इसी के साथ सूर्योदय के समय मिलने वाली लाभदायक किरणों के प्रभाव से भी हम वंचित रह जाते हैं। इसलिए ना केवल आप बच्चों में यह आदत डालिए, बल्कि स्वयं भी अपनाएं। क्योंकि बच्चे हमेशा अपने बडों से ही सीखते हैं।
गौमाता की दुर्दशा पर की चिंता व्यक्त
कथा के दौरान पं. शास्त्री ने गौमाता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गीता के अनुसार, कृष्ण ने अपने चचेरे भाई उद्धव से कहा था कि गाय की पूजा करना उनकी पूजा करने के बराबर है। शुद्ध भारतीय गाय का दूध पीने से हमारा सात्विक स्वभाव बढ़ता है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि केवल गायों को सम्मान देने से व्यक्ति अपने सभी पापों को नष्ट कर सकता है। इस प्रकार गायों की सेवा और सुरक्षा करके हम अपने प्रारब्ध से छुटकारा पा सकते हैं और अपने भीतर की दिव्यता को जागृत कर सकते हैं। गाय की पूजा करने और उसका दूध पीने से मनुष्य का शरीर दिव्य चेतना से भर जाता है। इसलिए घर पर सेवा करें सडकों पर मरने के लिए खुला न छोडें।
कथा के दौरान दंदरौआ धाम के संत 1008 महामण्डलेश्वर रामदास महाराज, 1008 राधिकादास महाराज ने आशीर्वाद वचन दिए। इस अवसर पर कांग्रेस सेवादल के नेता ब्रजकिशोर शर्मा कल्लू मुदगल, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. अनिल भारद्वाज, पत्रकार मुकेश मिश्रा, समाजसेवी नाथूराम व्यास, महेन्द्र मुदगल, अरविंद मुदगल, जितेन्द्र मुदगल, श्रीकृष्ण भारद्वाज सहित तमाम श्रोताओं ने कथा का आनंद लिया।