भिण्ड, 18 जुलाई। मेहगांव नगर के प्राचीन खेडापति हनुमान मन्दिर पर चल रही 21 दिवसीय शिव महापुराण की कथा छटवे दिन भगवान शिव की स्तुति के साथ प्रारंभ हुई। कथा श्रवण कराते हुए आचार्य जगमोहन त्रिपाठी ने भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले ब्रह्माजी की घोर तपस्या के कारण प्रसन्न होकर महादेव ने अपने अद्र्धनारीश्वर स्वरूप में उन्हें दर्शन दिए। जिसके बाद ब्रह्माजी उस स्वरूप को उमापति महादेव नाम दिया। ब्रह्माजी ने श्रष्टि को बढ़ाने के लिए महादेव की आराधना का नारी स्वरूप का वरदान मांगा था। भगवान शिव को ही शिव और शक्ति कहा गया है, उनके अंदर दोनों स्वरूप के दर्शन हो जाते हैं। आज की कथा में अन्नकूट भगवान की कथा भी हुई, जिसे सभी भक्त और श्रोताओं ने भक्तिभाव से सुना।
कथा के आयोजक संत 1008 शांतिदास महाराज ने बताया कि श्रावण मास में शिव महापुराण की कथा का बडा महत्व है, जिसे मानव कल्याण के लिए सभी को भक्तिभाव के साथ जरूर सुनना चाहिए।