देश राग

– राकेश अचल


सांप के खाली बिल में बिच्छू, खुदा कसम
ये हैं एक सियासी जादू, खुदा कसम
लाइलाज तो नहीं करप्शन कहते हैं
करना पड़ता है उसको छू खुदा कसम
है कितना उदास गुलदस्ता बैठक में
उड़ा ले गया कोई खुश्बू, खुदा कसम
जख्मी करके, चली गई है मृगनयनी
भूल गया है जप-तप साधू, खुदा कसम
राजा है उस्ताद, रियाया भोली है
बना रहा है सबको उल्लू, खुदा कसम
कामयाब जादूगर जब खुश होता है
करने लगता है खुद हू-हू, खुदा कसम
खूंरेजी का मंजर याद दिलाओ मत
रुकते नहीं एक पल आंसू, खुदा कसम
कभी नहीं होता है नेता को घाटा
रखता है हाथों में लड्डू, खुदा कसम