मॉकड्रिल में बताया ऑक्सीजन देकर जान बचाने का तरीका

सीपीआर के प्रशिक्षण और प्रदर्शन का हुआ आयोजन

भिण्ड, 25 फरवरी। शहर के पुलिस लाइन में सीपीआर के विशेष प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह चौहान ने सीपीआर प्रशिक्षण का महत्व समझाया।
मॉकड्रिल में सिविल सर्जन डॉ. अनिल गोयल ने बताया कि कई बार किसी व्यक्ति की अचानक सांस रुक जाती है या फिर कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में किसी को सांस नहीं आती है। इस अवस्था में उसे सीपीआर दिया जाता है, जिसकी वजह से लोगों की जान बचाई जा सकती है। एक तरह से सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, इससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है। साथ ही इससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है। सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है, यह एक प्रक्रिया है, जिसे मरीज के शरीर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को दबाया जाता है, जिससे शरीर में पहले से मौजूद वाला खून संचारित होने लगता है। साथ ही इस प्रक्रिया में मरीज के मुंह में मुंह से सांस भी दी जाती है। कार्यक्रम में यह तरीके जवानों को समझाए गए।
कार्यक्रम में एएसपी कमलेश कुमार खरपूसे, सीएसपी निशा रेड्डी, डीएसपी हेड क्वार्टर अरविन्द शाह, डॉ. डीके शर्मा, डॉ. सिद्धार्थ चौहान, आरआई रजनी गुर्जर, देहात थाना प्रभारी सुधीर सिंह कुशवाह, गोहद चौराहा थाना प्रभारी उपेन्द्र छारी, यातायात प्रभारी रणजीत सिकरवार, एसपी रीडर अशोक सविता, एसआई अतुल भदौरिया के अलावा जिले का पुलिस बल, होमगार्ड सैनिक, नगर रक्षा समिति, एनसीसी एवं कई कर्मचारी मौजूद रहे।