आशा, ऊषा और सहयोगी कार्यकर्ताओं की अनिश्चितकालीन हड़ताल 15 मार्च से
भिण्ड, 18 फरवरी। मप्र आशा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी श्रमिक संघ के प्रांतीय आह्वान पर राजधानी भोपाल में 16 फरवरी को आशा, ऊषा और आशा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं के एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में यह घोषणा की गई कि यदि इस अंतिम बजट सत्र के दौरान सरकार ने आशा, ऊषा और सहयोगी की मांगों को पूरा नहीं किया तो 15 मार्च से संपूर्ण मप्र में अनिश्चितकालीन काम बंद हड़ताल की जाएगी। इसके लिए बजट सत्र के प्रथम दिन 22 फरवरी को जिला मुख्यालय पर जिले की आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं और आशा सहयोगी कार्यकर्ता द्वारा एकत्रित होकर प्रशासन को सूचना पत्र दिया जाएगा। इस प्रदर्शन में जिले से तीन सैकड़ा से अधिक कार्यकर्ता सम्मिलित हुईं।
भिण्ड जिले में आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं एवं सहयोगिनी की संख्या लगभग दो हजार है, जो कि जीने लायक वेतन की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत हैं। यदि अनिश्चित कालीन हड़ताल होती है तो शासन की स्वास्थ्य सेवाओं सहित अन्य योजनाओं को क्रियान्वित कराने के लिए कोई और विकल्प भी नहीं रह जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली इन कार्यकर्ताओं से मात्र 66 प्रति दिन पर कार्य कराया जाता है। माता और शिशु से लेकर संपूर्ण ग्राम के स्वास्थ्य की देखरेख, टीकाकरण, सर्वे आदि के लिए विभाग और सरकार आशा कार्यकर्ताओं पर आश्रित है। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं के कार्य को डब्ल्यूएचओ ने भी सराहा और विश्व ग्लोबल हेल्थ लीडर्स के अवार्ड से सम्मानित किया है। इसके बावजूद भी मप्र की सरकार इन कार्यकर्ताओं के कार्य को लगातार अनदेखा कर रही है।
कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगे
आशा कार्यकर्ता को न्यूनतम वेतन 18 हजार, सहयोगी कार्यकर्ताओं को 26 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाए तथा शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। तब तक मिशन संचालिका के प्रस्ताव अनुसार आशा कार्यकर्ता को 10 हजार और सहयोगी कार्यकर्ता को 15 हजार रुपए प्रतिमाह दिया जाए।