उग्र स्वभावी धर्म से रहित होता है : मुनि विश्रांत सागर

चैत्यालय मन्दिर में हो रहे हैं मुनिश्री के प्रवचन

भिण्ड, 28 अगस्त। व्यक्ति को उग्र स्वभावी नहीं होना चाहिए, नम्र स्वभावी बनना चाहिए। आज का मनुष्य थोड़ी-थोड़ी सी बातों में उग्र हो जाता है। रावण उग्र स्वभावी था, तभी तो उसका पतन हो गया और रामचन्द्र जी नम्र स्वभावी थे सभी पर दया भाव रखते थे। क्रोध नहीं करते थे, यहां तक कि रावण के लिए भी प्रिय वचनों का उपयोग किया करते थे। गिद्ध पक्षी को भी गले लगा लेते थेे, तभी तो वे परमात्मा बनकर जन-जन के आराध्य हो गए। सभी लोग अपने बेटे का नाम राम रखना पसंद कर लेते हैं परंतु रावण नाम रखना कोई भी पसंद नहीं करता। आज की पीढ़ी दुष्ट स्वभाव वाली होती जा रही है। अपने माता-पिता का भी सम्मान नहीं करती। माता-पिता की आज्ञा व उनकी मर्जी के बिना शादी करने को तैयार हो जाती है, जोकि सर्वथा गलत और माता-पिता का अनादर है। यह बात मुनि श्री विश्रांत सागर महाराज ने चैत्यालय मन्दिर में चल रही प्रवचन सभा में कही।
मुनिश्री ने कहा कि जो भी व्यक्ति माता-पिता का अनादर करता है, उनके दिल को ठेस पहुंचाता है, रुलाता है, उसको जीवन के अंतिम समय कष्ट जरूर भोगने पड़ते हैं। माता-पिता से भी कहना है कि अपने बच्चों को धर्म के संस्कार दें, जिससे वृद्धावस्था में बच्चे तुम्हारी सेवा कर सकें। निर्मल स्वभाव वाले बनने का प्रयास करें, उग्र स्वभाव वाला धर्म से रहित होता है। उग्र स्वभाव को छोड़कर नम्र स्वभाव वाला बनो, इसी में तुम्हारा भला है।
प्रवचन सभा में फिरोजाबाद अरांव उप्र से पधारे गुरु भक्तों का चातुर्मास कमेटी द्वारा सम्मान किया गया तथा भिण्ड के गोलालारे समाज के पदाधिकारियों का भी सम्मान किया गया। सभा में रविसेन जैन, अशोक जैन महामाया, प्रवीण जैन, मनोज जैन बिच्छू, सोनू जैन, विकास जैन, सुरेन्द्र जैन (शक्कर), अन्ना जैन, रमेश जैन (गढ़ा), संजय जैन, आकाश जैन, बंटी जैन, कल्लू जैन, नीलू जैन, नीरज जैन, संगीता पवैया, रेखा जैन, मंजू जैन, सुनीता जैन, ज्योति जैन, गोलू जैन बिजपुरी, रिंकू जैन भारौली, नरेश जैन, नेपाली जैन, पंकज जैन, दिनेश जैन, सौरभ जैन, शैलू जैन, मनोज जैन पुलावली, आकाश जैन सहित जैन समाज के बहुत से लोग मौजूद रहे।