रिश्वत मांगने वाले उपनिरीक्षक को तीन वर्ष एवं सहआरोपी निरीक्षक दो वर्ष का कारावास

ग्वालियर, 28 अप्रैल। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ग्वालियर ने (अपराध क्र.333/13) विशेष प्रकरण क्र.02/15 विरुद्ध नागेन्द्र सिंह भदौरिया उप निरीक्षक थाना जनकगंज जिला ग्वालियर को धारा 7 पीसी एक्ट 1988 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माना, व्यतिक्रम की दशा में चार माह का अतिरिक्त कारावास से दण्डित किया। धारा 120बी आईपीसी में दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माने, व्यतिक्रम की दशा में तीन माह के अतिरिक्त कारावास से दण्डित किया एवं धारा 201 आईपीसी में एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माना, व्यतिक्रम की दशा में तीन माह का अतिरिक्त कारावास से दण्डित किया एवं सहआरोपी निरीक्षक निर्मल जैन थाना जनक गंज जिला ग्वालियर को धारा 120बी आईपीसी में दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माना व्यतिक्रम की दशा में तीन माह का अतिरिक्त कारावास एवं धारा 201 आईपीसी में एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माना, व्यतिक्रम की दशा में तीन माह का अतिरिक्त कारावास से दण्डित किया है।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी लोकायुक्त संगठन ग्वालियर श्रीमती राखी सिंह ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया आवेदक विनोद सिंह भदौरिया ने पांच अक्टूबर 2013 को लोकायुक्त संगठन ग्वालियर में उपस्थित होकर एक शिकायती आवेदन पेश किया था, जिसमें लोकायक्त ने कार्रवाई के उपरांत अभियुक्त नागेन्द्र सिंह उपनिरीक्षक एवं सह अभियुक्त निर्मल जैन द्वारा रामजी और लल्ला उर्फ कौशलेन्द्र को छोडऩे के लिए वैद्य परिश्रमिक से भिन्न पहले ढाई लाख रुपए और फिर दो लाख रुपए रिश्वत की मांग किए जाने का अपराधिक कृत्य किए जाने एवं दोनों अभियुक्तों द्वारा सहमत होकर अपराधिक षडय़ंत्र किए जाने और इस संबंध में नागेन्द्र सिंह द्वारा की गई रिश्वत की मांग के अपराधिक कृत्य के दण्ड से उसे बचाने के लिए थाना जनकगंज के रोजनामचा सान्हा में असत्य प्रविष्टियां करके रिश्वत की राशि की मांग किए जाने में अभियुक्त नागेन्द्र सिंह के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवरण अधिनियम 1988 की धारा 7 तथा नागेन्द्र सिंह एवं निर्मल जैन के विरुद्ध धारा 120बी और 201 आईपीसी का अपराध किया जाना अभियोजन ने सफलतापूर्वक प्रमाणित किया है।