भिण्ड, 27 मार्च। श्री 1008 सुपाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मन्दिर दुल्हागन में 1400 वर्ष प्राचीन भगवान सुपाश्र्वनाथ की प्रतिमा वेदी पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसूर्य सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में पं. संदीप शास्त्री के निर्देशन में विधि विधान से विराजमान की गई।
इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने कहा कि प्राचीन जिन मन्दिर की प्रतिमाएं बहुत ही अतिशयकारी होती हंै, इनकी रक्षा स्थान के यक्ष यक्षिणी करते हैं। कई वर्षों से जीर्णशीर्ण पड़े मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए यहां के निवासी निरंतर प्रयासरत थे, लेकिन इनको सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण मन्दिर का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया। कहते है जब किसी का समय आता है तभी वह कार्य हो पाता है। अशोक जैन मेरे पास आए और निवेदन करते हुए कहा कि दुल्हागन जैन मन्दिर का जीर्णोद्धार करा दो और मात्र 54 दिनों में मन्दिर का जीर्णोद्धार कराकर रविवार को विधि विधान के साथ पांच प्रतिमाएं विराजमान कराई गई। सभी जनों के सहयोग इस दुल्हादगन जैन मन्दिर के जीर्णोद्धार में मिला है।
इस अवसर पर अशोक जैन, रिषभ जैन, राकेश जैन, गौरव जैन, बोबी जैन, दीपक जैन, छेदलाल जैन, सुभाष जैन, अशोक जैन, रितिक जैन, पंकज जैन, विनोद जैन, मनोज जैन, माधुरी जैन, अभिषेक जैन, रागेन्द्र जैन, राजेश जैन, अमीरचन्द जैन, मंजू जैन, प्रतीक्षा जैन, सरोज जैन, विमला जैन आदि महिलाएं-पुरुष एवं बच्चे उपस्थित रहे।
महाराज का भिण्ड के लिए हुआ विहार
मेडिटेशन गुरु विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसूर्य सागर महाराज ससंघ का मंगलवार विहार दुल्हागन से भिण्ड की ओर शाम पांच बजे हुआ। जिसमें मुनिराज आठ किमी की पदयात्रा के बाद रात्रि विश्राम करेंगे और सुबह आठ बजे अटेर रोड होते हुए नगर में मंगल प्रवेश करेंगे।