कलेक्टर ने मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजनांतर्गत हितग्राहियों से रिश्वत लेने का मामला
भिण्ड, 25 मार्च। कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजनांतर्गत लाभ प्राप्त कर रहे हितग्राहियों से बैंक खाता खोलने के नाम पर रिश्वत लेने की कराई गई जांच में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास की जांच प्रतिवेदन के आधार पर बाल संरक्षण अधिकारी समेकित बाल संरक्षण योजना भिण्ड के अनिल कुमार शर्मा को सेवा से पृथक करने का आदेश दिए है।
23 मार्च 2022 को जिला कार्यालय में मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना अंतर्गत लाभ प्राप्त कर रहे हितग्राहियों एवं संरक्षकों की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें ग्राम अटेर जिला भिण्ड के हितग्राही रानी, अजली सुरजीत पंजीत की संरक्षक बल्ली पत्नी स्व. मकरंद सिंह पुरवंशी द्वारा अवगत कराया गया कि अनिल कुमार शर्मा, बाल संरक्षण अधिकारी समेकित बाल संरक्षण योजना भिण्ड द्वारा उनसे योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु बच्चों के बैंक खाते खोले जाने के नाम पर बैंक के सामने ही उनसे 20 हजार रुपए लिए गए थे। उक्त संबंध में कलेक्टर द्वारा 23 मार्च को अनिल शर्मा बाल संरक्षण अधिकारी, समेकित बाल संरक्षण योजना भिण्ड को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर जबाब चाहा गया। शर्मा बाल संरक्षण अधिकारी भिण्ड द्वारा प्रस्तुत जबाब 24 मार्च के परीक्षण उपरांत प्रस्तुत जबाब संतोषजनक एवं समाधानकारक नहीं पाया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास भिण्ड द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के आधार पर शिकायत आंशिक रूप से सत्य पाई गई है। अतएवं मप्र शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल द्वारा समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत जिला बाल संरक्षण समिति बाल कल्याण समिति एवं जिला स्तरीय किशोर न्याय बोर्ड के लिये स्वीकृत पदों पर संविदा आधार पर की जाने वाली नियुक्ति हेतु निर्धारित अनुबंध शर्तों के अधीन अनिल शर्मा बाल संरक्षक अधिकारी और संस्थानिक देखभाल समेकित बाल संरक्षण योजना भिण्ड से 31 दिसंबर 2022 तक अनुबंध निष्पादित किया गया था। उक्त निष्पादित अनुबंध की कडिका 16 का अनिल कुमार शर्मा बाल संरक्षण अधिकारी समेकित बाल संरक्षण योजना भिण्ड द्वारा उल्लंघन किए जाने पर अनिल कुमार शर्मा की पंछित सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर इनका अनुबंध अवैध रूप से 20 हजा रुपए की वसूली के भ्रष्टाचार के आधार पर निरस्त करते हुए बाल संरक्षण अधिकारी (गैर संस्थानिक देखभाल) के पद से पृथक किया जाता है।