दंदरौआ धाम में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान हो रहे हैं प्रवचन
भिण्ड, 01 दिसम्बर। श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण भगवान ने प्रेम की संज्ञा दी है, जहां प्रेम के प्रति प्रेम होता है वह परस्पर प्रेम होता है। लेकिन जो मां का बेटी के प्रति प्रेम होता है, वह प्रेम की अखण्ड धारा होती है, क्योंकि जरूरी नहीं है बेटी मां से प्रेम करे, लेकिन मां को बेटी से प्रेम करना ही पड़ेगा। यह उद्गार गुरु पुरुषोत्तमदास महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित हो रहे 25वे वार्षिक महोत्सव के अवसर पर कथा वाचक पं. रमाकांत व्यास ने श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जैसे भगवान श्रीकृष्ण को यशोदा के प्रेम ने बांध लिया। भगवान को बांधने की शक्ति केवल प्रेम में है, प्रेम से ही भगवान को बांधा जा सकता है। वियोग में मनुष्य का बुढ़ापा बहुत जल्दी आता है वियोग में व्यक्ति बहुत जल्दी बूढ़ा हो जाता है, क्योंकि वियोग मे उसको ना पहनने की याद रहती है, ना ही भोजन की याद रहती है और संसार के सभी कार्यों को वियोग में मनुष्य भूल जाता है। जब भी संसार में आतंक होता है, तो आतंकवादी का अंत करने के लिए भगवान का अवतार होता हैं, क्योंकि आतंकवादी का अंत अच्छा नहीं होता हैं। कथा पारीक्षत श्रीमती शांति देवी भगवत दयाल भारद्वाज हैं। इस अवसर पर यज्ञाचार्य पं. रामस्वरूप शास्त्री, मंहत रामदास जी महाराज, राधिकादास महाराज, संत समिति के महामंत्री राधेराधे महाराज, कालिदास महाराज, पूर्व चेयरमैन केपी सिंह भदौरिया, बृजमोहन शर्मा, पं. श्याम बिहारी दुबे, सुधांशु मोहन गुबरेले सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।