भिण्ड, 01 अगस्त। अखिल भारतीय कौरव क्षत्रिय महासभा के सचिव डॉ. ओपी सिंह कौरव ने प्रेस वार्ता में कहा कि हाल ही में सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों के माध्यम से प्राप्त जानकारी अनुसार जाग्रति मंच ने कौरव समाज सरंक्षण एवं निगरानी समिति का गठन किया है, जाग्रति मंच द्वारा किया गया गठन विवेकहीन व असंवैधानिक होकर पूर्णत गलत है। जिसे अखिल भारतीय कौरव क्षत्रिय महासभा मान्यता नहीं देता, क्यों कि कौरव महासभा किसी भी संगठन को यह अधिकार नहीं देता कि वह विना समाज के वृहद सम्मेलन एवं सर्व समाज कि सहमति लिए वगैर समाज कि निगरानी एवं निरीक्षणकर्ता कि नियुक्ती करे दे, जहां तक जाग्रति मंच का सवाल है तो जाग्रति मंच के विधान में पहले से तय है कि इस संगठन में कभी भी किसी को संगठन का अध्यक्ष उपाध्यक्ष या किसी भी तरह के पदाधिकारी की नियुक्ति नहीं होगी न ही अभी तक हुई है, अभी तक केवल व्यवस्थापक पद के नाम से उक्त संगठन संचालित होता आ रहा है, जिसे भी हर महीने की बैठक में बदल कर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को व्यवस्थापक बना दिया जाता है, जब जाग्रति मंच खुद अपने संगठन में किसी को अध्यक्ष उपाध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी नहीं बनाती तो फिर किस अधिकार से आपने सर्व समाज की निगरानी एवं निरीक्षणकर्ता की नियुक्ति थोप दी जाग्रति मंच कौरव महासभा का एक सहयोगी अंग है, जिसे नए पद के सृजन एवं किसी नई समिति के गठन का अधिकार नहीं है और रहा सवाल महासभा का तो महासभा कभी भी किसी भी समिति मंदिर समिति हो या अन्य समिति बिना समाज का सम्मेलन बुलाए समाज को विश्वास में लिए वगैर किसी भी संगठन का निर्माण व नियुक्ति नहीं करती। इसके बाबजूद भी यसमंत सिंह कौरव पूर्व आरक्षक परिवहन विभाग के द्वारा कराया गया यह निर्णय उनकी समाजसेवा को नहीं बल्कि उनकी महत्वकांक्षा व पद की लालसा को दर्शाता है। आप पहले से ही ग्वालियर में इसी तरह गलत तरीके से एक कौरव महासभा का निर्माण कर चुके हैं, जिसके अध्यक्ष भी खुद आप बन बैठे थे जो आज तक अस्तित्व में नहीं है, वहां पर आपने कभी समाज के विकास व भीष्म पितामह की कभी कोई बात नहीं की न ही आज तक कोई सामाजिक सम्मेलन कराया, इससे तो अच्छा आज हमारे भाई अवधेश कौरव ने बिना किसी सामाजिक पद के महानगर ग्वालियर में भीष्म पितामह मार्ग स्थापित कर समाज का मान बढाया, जिसके लिए मैंने उन्हें बधाई दी और उन्हें साधुवाद देता हूं। समाजिक पद हासिल करने से पहले क्षेत्र में रहकर पूर्णत समर्पित भाव से समाज की सेवा व त्याग करना पडता है। वर्तमान में कौरव महासभा सक्रिय रूप से सदभावना पूर्वक समाज हित में सामूहिक विवाह मेधावी छात्र छात्राओं को प्रतिभा सम्मान एवं नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों का सम्मान एवं वरिष्ठ उद्यमियों (व्यवसाइयों) का सम्मान एवं समाज सेवियों का सम्मान प्रतिवर्ष भीष्म पितामह जयंती भीष्म पितामह मूर्ति स्थापना के लिए प्रयास जैसे अनेक कार्य समाज हित में कराए जा रहे हैं। जब कौरव महासभा सक्रिय रूप से कार्यरत है तो ऐसी स्थिति में किसी नई समिति के सृजन का कोई औचित्य नहीं है। फिर भी आपके मन में सर्वोच पद प्राप्त करने के बाद ही समाज सेवा का भाव है तो आप आगामी सम्मेलन 17 अगस्त को मां बारही देवी मन्दिर गेंथरी पर उपस्थित होकर समाज के सम्मेलन में अपनी बात रखें समाज को लगता है, उस पर विचार करें जो समाज निर्णय ले में उस निर्णय के साथ हूं।
इनका कहना है:
‘‘हमारे यहां ऐसी कोई परम्परा नहीं है कि हम समाज की सहमति लिए बगैर किसी भी नवीन कार्यकारणी का सृजन करें। जब भी कोई आवश्यक होती है तो हम समाज का बृहद सम्मेलन बुलाकर समाज के सामने रखते हैं। सर्व सहमति से ही कोई निर्णय लिया जाता है।’’
चौधरी मलखान सिंह कौरव, अध्यक्ष अखिल भारतीय कौरव क्षत्रिय महासभा