– राकेश अचल
पुणे की लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को मैं नहीं जानता। मैं अली खान मेहमूदाबाद को भी नहीं जानता था, लेकिन मुझे इस लडकी को लेकर फिक्र जरूर है। अली खान मेहमूदाबाद की तरह ही शर्मिष्ठा पनोली को गत दिवस कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें बॉलीवुड सितारों, विशेषकर खान अभिनेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाए गए थे। इस वीडियो को भडकाऊ और सांप्रदायिक माना गया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
शर्मिष्ठा ने वीडियो डिलीट कर माफी मांगी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार कर कोलकाता लाया गया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। उन पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना और धार्मिक भावनाएं आहत करना शामिल है। हमारे देश में सांप्रदायिक क्या है, वैमनस्य कैसे फैलता है और कैसे नहीं इस बारे में पुलिस बहुत अपडेट रहती है। कोई शिकायत भर कर दे फिर देखिए पुलिस की सक्रियता। पुलिस चाहे हरियाणा की हो या बंगाल की, इससे कोई फर्क नहीं पडता। पुलिस के विवेक के बारे में भगवान भी नहीं जानता। जैसे मप्र पुलिस अपवाद है। उसे एक मंत्री द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी के बयान से वैमनस्य या सांप्रदायिक सदभाव खराब होने की आशंका नजर नहीं आती।
शर्मिष्ठा पनोली का मामला मप्र के मंत्री विजय शाह जैसा नहीं है, लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वो भी ममता बनर्जी की पुलिस ने। ममता बनर्जी खुद एक दशक से सांप्रदायिता और भाजपा से लड रही हैं किंतु वे शर्मिष्ठा को गिरफ्तारी से नहीं बचा सकीं। बचा भी नहीं सकती थीं, क्योंकि वे मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की तरह संघदक्ष नहीं हैं। वे कानून को अपना काम करने दे रही हैं।
अपने बेसिर-पैर के बयानों के लिए चर्चित बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत ने शर्मिष्ठा पनोली का समर्थन किया है। उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी के माध्यम से कहा कि भले ही शर्मिष्ठा की भाषा तीखी रही हो, लेकिन यदि उन्होंने माफी मांग ली है तो उन्हें और परेशान करने की आवश्यकता नहीं है। कंगना ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा बताया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। कंगना ने शर्मीष्ठा की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से अपील की है। कंगना ने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल सरकार से आग्रह करती हूं कि राज्य को उत्तर कोरिया बनाने की कोशिश न करें।
शर्मिष्ठा के मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल है। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने टीएमसी सरकार पर ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह कार्रवाई आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए की गई है। आप सुवेंदु के बयान का कोई भी अर्थ निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर #ReleaseSharmistha ट्रेंड करने लगा। कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए उचित कार्रवाई बता रहे हैं। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक सहिष्णुता और सोशल मीडिया की जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करता है। मुझे लगता है कि न्यायपालिका इस मामले में अपना वही रुख रखेगी जै प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद के मामले में अपनाया गया था।
शर्मिष्ठा पनौली, जिनके एक्स और इंस्टाग्राम पर 1.75 लाख फॉलोअर्स हैं। अपने विवादित वीडियो हटा दिए थे और बिना शर्त माफी मांग ली थी, फिर भी कोलकाता में उनके खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट से बाहर आते समय शर्मिष्ठा ने मीडिया से कहा, लोकतंत्र में जिस तरह से यह उत्पीडन किया जा रहा है, यह लोकतंत्र नहीं है। शर्मिष्ठा के अलावा देश में आपके और हमारे जैसे असंख्य लोग हैं जो मानते हैं कि देश में लोकतंत्र नहीं है और राष्ट्रवाद तथा देशभक्ति की आड में सच बोलने वालों का उत्पीडन किया जाता है। इस मामले में सत्ता का चरित्र एक जैसा है फिर चाहे सत्ता भाजपा की हो या तृमूका की। इसलिए जागते रहिये, जगाते रहिये। लोकतंत्र और लोक इसी तरह बचेगा।