ग्वालियर, 28 मई। जब से मैं स्व-सहायता समूह से जुडी हूं तब से मेरे व मेरे परिवार के जीवन में बडा बदलाव आया है। अब मेरे बच्चे कॉन्वेंट स्कूल में पढते हैं। हमारे परिवार का शांति पूर्वक और खुशहाली के साथ जीवन-यापन हो रहा है। मुझे आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सरकार द्वारा संचालित राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का बडा योगदान है। मिशन की बदौलत हमें हर माह औसतन 40 हजार रुपए की आमदनी होने लगी है। इसके लिए मैं सरकार के प्रति सदैव आभारी रहूंगीं। यह कहना है ग्वालियर जिले के घाटीगांव के ग्राम चराई रेंहट निवासी गीता प्रजापति का।
वे मप्र-डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत चराई रेंहट में गठित गीता स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं। स्व-सहायता समूह के माध्यम से लखपति क्लब में शामिल हो चुकीं गीता बताती हैं कि समूह से जुडने से पहले हमारे दिन बडी कठिनाई में गुजरे हैं। घर के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। गांव में नाम मात्र की खेती थी। पति खूब मेहनत मजदूरी करते पर घर का खर्चा फिर भी नहीं चल पाता। मेरी तमन्ना थी कि मेरे बच्चे कॉन्वेंट स्कूल में पढाई करें, पर आर्थिक स्थिति ठीक न होने से लगता था कि मेरा यह सपना अधूरा ही रहेगा। गीता कहती हैं कि इसी बीच मुझे पता चला कि राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों के माध्यम से सरकार महिलाओं को आर्थिक मदद उपलब्ध कराती है। यहीं से हमारे परिवार की खुशहाली के दरवाजे खुल गए। गांव में मिशन के तहत वर्ष 2021 में स्व-सहायता समूह का गठन हुआ और मुझे इसके अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। समूह के खाते में सभी सदस्यों ने थोडी-थोडी राशि जमा की। मुझे जरूरत पडने पर सबसे पहले पांच हजार रुपए की राशि मिली। इससे हमने अपना काम-धंधा बढाया और राशि चुकता कर दी। इससे मेरा हौसला बढा और समूह से 20 हजार रुपए लेकर सिलाई सेंटर शुरू किया।
धीरे-धीरे हमारा यह धंधा चल पडा और अब मुझे हर माह औसतन 10 हजार रुपए की आमदनी होने लगी है। इससे घर का खर्चा आराम से चलने लगा। जाहिर है आत्मविश्वास भी बढ गया। इसके बाद हमने अपनी बचत और समूह से एक लाख रुपए लोन लेकर कॉस्मेटिक की दुकान भी शुरू कर दी, जिससे हर माह 30 हजार रूपए की आमदनी होने लगी है। अब हमारा परिवार खुशहाली पूर्वक जीवन-यापन कर रहा है। सरकार के प्रति धन्यवाद जाहिर करते हुए गीता कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक से बढकर एक योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं से महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि उनका मान-सम्मान भी बढ गया है।