स्टेण्डअप कॉमेडी हास्य विधाओं में अश्लीलता रोकने संस्कार भारती चलाएगी अभियान: सिकरवार

ग्वालियर, 10 मई। देश में नाट्य परंपराओं में आज-कल परोसी जा रही अश्लीलता को रोकने के लिए संस्कार भारती संस्था जन जागरण के साथ ही समाज में जाकर जागरूकता का एक अभियान चलाएगी। इसके लिए संस्कार भारती विभिन्न मंचों पर परोसी जा रही अश्लीलता का अब खुला विरोध भी करेगी। यह जानकारी संस्कार भारती के महानगर इकाई के महामंत्री चन्द्रप्रताप सिकरवार ने शुक्रवार को पत्रकारों को दी।
उन्होंने बताया कि प्राय: लगातार देखने में आ रहा है कि नाट्य जैसी विधाओं में अब अश्लीलता, गालियां सहित अन्य विकृत भाषा का उपयोग लगातार किया जा रहा है। अभी हाल ही में संस्कार भारती की नागपुर में संपन्न हुई एक बैठक में इसकी समीक्षा की गई, वहीं निर्णय लिया गया कि आगामी दिनों में संस्कार भारती जागरुकता अभियान चलाकर ऐसी विधाओं में अश्लीलता पर रोकने का अथक प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म पर कई ऐसे सीरियल आ रहे है जिन्हें परिवार के साथ बैठ कर देख भी नहीं सकते है। इनमें कई स्थानों पर अश्लील गालियों का उपयोग हो रहा है। इसे लेकर जहां संस्कार भारती चिंतित है, वहीं संस्कार भारती ने अभियान चलाकर इसका विरोध करने तथा समाज में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर समाज में जागरुकता लाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे स्टैंडअप कॉमेडी में गालियां अश्लीलता को रोका जा सके और भारतीय परंपराओं का निर्वहन किया जा सके।
सिकरवार ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्टैंडअप कॉमेडी इस परंपरा की आधुनिक अभिव्यक्ति का नया रूप लेकर उभरी है। डिजिटल माध्यमों पर प्रसारित हास्य आधारित कंटेंट युवाओं को तेजी से आकर्षित कर रहा है। परंतु हाल के वर्षों में इस माध्यम की प्रस्तुति तथा विषय वस्तु के स्तर में गिरावट देखी गई है। यह माध्यम जहां एक ओर सशक्त सामाजिक सुधारों का उपकरण बन सकता है, वहीं दूसरी ओर यह तेजी से शॉर्टकट प्रसिद्धि की होड में अशोभनीय भाषा, धर्म, जाति, लैंगिक असंवेदनशीलता और राष्ट्रीय मूल्यों की अवमानना का मंच बनता जा रहा है। अभिव्यक्ति स्वतंत्रता की आड में कई कलाकार जानबूझकर या अनजाने में धार्मिक प्रतीकों का उपहास, राष्ट्रनायकों की व्यंग्यात्मक आलोचना या सामाजिक प्रथाओं का मजाक उडाते हुए, लोकप्रियता पाने का प्रयास करते हैं। संस्कार भारती यह आह्वान करती है कि हास्य कला विधाओं की गरिमा, मर्यादा और उद्देश्य की रक्षा हेतु कलाकारों, दर्शकों, शासन तथा नीति-निर्माताओं की संयुक्त एवं उत्तरदायी भूमिका अनिवार्य है। कला साधकों एवं रचनाकारों से अनुरोध है कि वे अपनी अभिव्यक्ति में नैतिक विवेक, सांस्कृतिक चेतना तथा सामाजिक उत्तरदायित्व का पालन करें। दर्शकों से आग्रह है कि वे गुणवत्तापूर्ण, विवेक सम्मत एवं गरिमामय हास्य को प्रोत्साहन प्रदान करें तथा फूहडता और असंवेदनशीलता पर आधारित प्रस्तुतियों का सक्रिय रूप से विरोध करें। साथ ही सरकार, नीति-निर्माताओं और सांस्कृतिक संस्थाओं से आग्रह है कि हास्य विधा को दिशा देने हेतु प्रशिक्षण, मंच और संसाधन उपलब्ध कराए तथा उपयुक्त विधिक प्रावधानों, दिशा-निर्देशों तथा दण्डात्मक व्यवस्थाओं के माध्यम से इस क्षेत्र में अनुशासन एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करें। प्रेसवार्ता में संस्कार भारती की अखिल भारतीय मातृशक्ति संयोजक अनीता ताई करकरे, महामंत्री चंद्र प्रताप सिकरवार, संरक्षक अशोक आनंद, ग्वालियर चंबल संयोजक शेखर दीक्षित, मंचीय कला प्रमुख प्रदीप दीक्षित, जिला कार्यकारिणी सदस्य मनीष दीक्षित, कोष प्रमुख आशुतोष वाजपेई, मीडिया प्रवक्ता कुलदीप पाठक मौजूद रहे।