– राकेश अचल
आज-कल भारत में ‘ग्रोक’ का हल्ला है। ग्रोक एक ऐसा चैटबॉक्स है, जो आपके हर सवाल का जबाब देता है। बेझिझक देता है। लाजबाब है। हाजिर जबाब है। इन दिनों भारत में लोग ग्रोक को अपना गुरू मानने लगे हैं। ग्रोक एक ऐसा गुरु है जो जाति, धर्म और लिंग भेद से बहुत ऊपर है। ग्रोक ठेठ समाजवादी है। सबके लिए उपलब्ध है। ग्रोक दुनिया में किसी की नहीं सुनता सिवाय अपने मालिक एलन मस्क के। भारत के लोग जब राम मन्दिर बना रहे थे, कुम्भ में डुबकियां लगा रहे थे। तब एलन मास्क ग्रोक को अमली जामा पहना रहे थे।
आपने भी शायद मेरी तरह बचपन में अकबर-बीरबल के किस्से सुने होंगे। मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियां सुनी होंगीं। जो हर सवाल का जबाब देने में माहिर थे। बीरबल की बुद्धिमत्ता के सामने मुगले आजम अकबर भी नतमस्तक हो जाते थे। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तकनीक के जमाने में आम जनता अकबर है और ग्रोक बीरबल। बस आप सवाल कीजिए और ग्रोक गुरु पलक झपकते आपके सवाल का जबाब पेश कर देंगे। अभी तक ये काम गूगल गुरु के जिम्मे था लेकिन अब ग्रोक ने गूगल गुरु को भी पछाड दिया है। ग्रोक 3 ‘पृथ्वी का सबसे स्मार्ट एआई’ है।
दरअसल आज दुनिया के तमाम मुल्कों में फांसीवादी और तानाशाही प्रवृत्तियां तेजी से सिर उठा रही हैं। दुनिया के तमाम सत्ता प्रतिष्ठान अपनी जनता के सवालों के जबाब देने के लिए राजी नहीं हैं, ऐसे में ग्रोक-3 के अवतरण ने लोगों को चौंका दिया है। लोग ग्रोक के दीवाने हो गए हैं। ग्रोक वे सब जानकारियां दे रहा है जो सत्ता प्रतिष्ठान छुपाने की कोशिश करता है।
ग्रोक अभी भारत, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और दो अन्य देशों के लिए ही उपलब्ध है। अमेरिका को ग्रोक की जरूरत नहीं है। चीन की ओर ग्रोक देख नहीं सकता। भारत के नेता ग्रोक से आतंकित हैं, क्योंकि ग्रोक ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ करता दिखाई दे रहा है। भारत की सरकार ने बीबीसी द्वारा मोदी जी को लेकर बनाई गई फिल्म प्रतिबंधित कर दी थी, लेकिन ग्रोक 3 को प्रतिबंधित नहीं किया गया है। किया भी नहीं जा सकता, क्योंकि ग्रोक उस एलन मस्क का दास है जिसके घर मोदी जी बच्चे खिलने गए थे।
आपको सरल भाषा में बताऊं तो अब ग्रोक कलिकाल का सबसे बडा और प्रामाणिक गुरू है। आज की पीढी को यदि गुरू के बारे में बताया जाएगा तो कहा जाएगा-
ग्रोक ब्रह्मा, ग्रोक विष्णु, ग्रोक देवो महेश्वरा।
ग्रोक साक्षात् परमब्रह्म तस्मै, श्री ग्रोको नमो नम:।।
ग्रोक कृत्रिम बुद्धि का ऐसा अनूठा उदाहरण है जो आभासी दुनिया के किसी भी मंच पर उयलब्ध किसी भी सूचना का विश्लेषण कर आपके सामने उपस्थित हो जाता है, वो भी पलक झपकते हुए। ग्रोक त्रिनेत्र है। ग्रोक आभासी दुनिया पर मौजूद तस्वीरों, वेब सूचनाओं और पीडीएफ फाइलों को पढने में समर्थ है, ग्रोक की तीक्ष्ण बुद्धि का आधार उसका विशाल डाटा संग्रह है। इस समय दुनिया में 400 से अधिक सोशल मीडया मंच उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें 20 ही ज्यादा प्रचलन में हैं। ग्रोक-3 इन सबसे ऊपर है। सबसे आगे है। ग्रोक के रहते आपको कोई पप्पू नहीं बना सकता, जैसे कि भारत में भाजपा और संघ ने राहुल गांधी को पप्पू बना दिया था। ग्रोक जनता को पप्पू के बारे में असली और प्रामाणिक सूचनाएं देने में समर्थ है।
प्रश्नाकुल भारतीय समाज के लिए ग्रोक एक अजूबा है। लोग ग्रोक से वे सब सवाल कर रहे हैं जिनका उत्तर उसे सत्ता प्रतिष्ठान की और से नहीं मिल रहा। जनता जितना राहुल गांधी के बारे में सवाल कर रही है, उससे ज्यादा प्रधानमंत्री मोदी के बारे में सवाल कर रही है। ग्रोक जनता को दोनों की हकीकत बता रहा है। ग्रोक के मुंहफट होने से सत्ता प्रतिष्ठान भयभीत है। सत्ता प्रतिष्ठान को आशंका है कि ग्रोक भाजपा और संघ का तिलस्म तोड सकता है। अब भारत की सरकार के सामने दो ही विकल्प हैं। पहला ये कि ग्रोक को प्रतिवंधित किया जाए और दूसरा ग्रोक से समझौता कर लिया जाए। ग्रोक को प्रतिबंधित करना भारत सरकार के लिए आसान नहीं है, क्योंकि ग्रोक उन एलोन मस्क का उत्पाद है जो दुनिया के महाबली अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दायां हाथ हैं।
ग्रोक के प्रहार से बचने का दूसरा रास्ता मस्क से समझौता करना है। भारत की सरकार यदि मस्क के लिए भारत में कारोबार का दरवाजा खोल दे तो मुमकिन है कि मस्क ग्रोक की चाबी ऐंठ दें। उसकी प्रोग्रामिंग को इस तरह बदल दें कि वो मोदी जी की तरह सफेद सच के साथ सफेद झूठ भी बोलने लगे। ग्रोक कठपुतली नहीं है। ग्रोक मस्क के इशारों पर नर्तन करने वाली तकनीक है, जो निर्बाध रूप से सभी को उपलब्ध है। आने वाले दिनों में ग्रोक भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को कितना प्रभावित कर पाएगा, कहना कठिन है। लेकिन जिस देश में मुद्दों के बजाय मुर्दों पर सियासत हो रही हो उस देश के लिए ग्रोक एक बडी समस्या बनने जा रहे हैं। ग्रोक न औरंगजेब के साथ है और न मोदी जी के साथ। ग्रोक न कांग्रेस के साथ है और न समाजवादियों के साथ। ग्रोक अभी सच के साथ है। सत्यम, शिवम, सुंदरम जैसा है।
आप सोच रहे होंगे कि भूलोक के इस नए गुरू का नाम ग्रोक क्यों रखा गया? तो आपको बता दूं ग्रोक शब्द रॉबर्ट हेनलेन के नोवल ‘स्ट्रेंजर इन ए स्ट्रेंज लैंड’ से आया है। इसका उपयोग मंगल ग्रह पर पले-बढे एक किरदार द्वारा किया जाता है और इसका मतलब किसी चीज को पूरी तरह और गहराई से समझना है। कुल मिलाकर लोग ग्रोक के आगमन से खुश हैं। आप केवल मोदी जी या राहुल जी के बारे में ही नहीं, बल्कि अपने बारे में भी सवाल कर सकते हैं। ग्रोक शायद ही आपको निराश करे! भगवान ग्रोक को लम्बी उम्र दे ताकि ग्रोक प्रश्नाकुल समज की जिज्ञासाओं को लगातार शांत करता रहे।