भिण्ड, 18 फरवरी। सभी प्रकार की हिंसा से पीडि़त महिलाओं को एक ही छत के नीचे संरक्षण प्रदान किए जाने के उद्देश्य से वन स्टॉप सेंटर संचालित हैं। सभी प्रकार की हिंसा से पीडि़त महिलाओं को जैसे एसिड विक्टिम, रेप विक्टिम, घरेलू हिंसा से पीडि़त, प्रताडि़त, परित्यक्ता, अग्नि पीडि़त, प्राकृतिक आपदा से पीडि़त आदि प्रकार की महिलाओं को एक छत के नीचे उनके स्वास्थ्य, जागरुकता और विधिक सहायता प्रदान की जाती है, वन स्टॉप सेंटर और जिला हब फॉर एंपावरमेंट ऑफ वूमेन के तहत महिलाओं को आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य परीक्षण कानूनी मसाले में विधिक सहायता और उनकी पात्रता अनुसार संचालित विभिन्न शासकीय शासकीय योजनाओं से संबंध कर उनका आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने हेतु उत्साहवर्धन किया जाता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार जैन ने बताया कि कोई भी पीडि़त महिला वन स्टॉप सेंटर में सीधे आ सकती है अथवा महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से अथवा जिला प्रशासन कलेक्टर के माध्यम से वन स्टॉप सेंटर में प्रवेश हो सकता है। प्रवेश के लिए सक्षम प्राधिकारी का आदेश की आवश्यकता होती है जिसे मप्र शासन द्वारा अपर जिला दण्डाधिकारी को सक्षम प्राधिकारी वन स्टॉप सेंटर के लिए नियुक्त किया गया है, अपर कलेक्टर के आदेश द्वारा ही महिला का वन स्टॉप सेंटर में प्रवेश होता है और उन्हीं के आदेश से वन स्टॉप सेंटर से अन्य स्थानांतरण अथवा पुनर्वास की कार्रवाई संभव हो सकती है।
बाल संरक्षण अधिकारी एवं जिला हब फॉर एंपावरमेंट ऑफ विमेन के नोडल अजय सक्सेना ने बताया कि वन स्टॉप सेंटर में महिला के प्रवेश होते ही आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देते हुए मेडिकल परीक्षण कराया जाता है तथा उपचार की व्यवस्था की जाती है। वन स्टॉप सेंटर में आश्रय की संपूर्ण व्यवस्था है साथ ही पीडि़त महिला के स्थिति अनुसार विधिक सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है और निरंतर परामर्श की सुविधा उपलब्ध हैं। वन स्टॉप सेंटर में पांच दिवस तक महिलाओं को संरक्षण प्रदान किया जाता है उसके बाद पुनर्वास की कार्रवाई अथवा अन्यत्र स्थानांतरण की कार्रवाई की जाती है। जिला भिण्ड में वन स्टॉप सेंटर धनवंतरी कॉम्प्लेक्स के बगल से संचालित है।
वन स्टॉप सेंटर एवं जिला हब फॉर एंपावरमेंट ऑफ वीमेन अंतर्गत उपरोक्त सेवाओं के अतिरिक्त घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाओं के काउंसलिंग करना, उनकी डीआईआर रिपोर्ट तैयार कर सक्षम न्यायालय को प्रस्तुत करना एवं माननीय न्यायालय के आदेश अनुसार अग्रिम कार्रवाई करना एवं समय-समय पर विभिन्न शिविरों के माध्यम से जागरुकता के माध्यम से महिला अधिकारों के प्रति जागरुक करना और विभिन्न शासकीय योजनाओं से महिलाओं और बालिकाओं की पात्रता अनुसार संबध किया जाता है, शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को भी स्कूल से जोडऩे के प्रयास किए जाते हैं, किशोरी बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की संपूर्ण जानकारी प्रदान कर परामर्श किया जाता है।