राम कथा में सीता विदाई प्रसंग में श्रद्धालु की आखों से झलके आंसू

भिण्ड, 23 जनवरी। दबोह नगर के सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल पतारा सरकार हनुमान जी मन्दिर पर 25 जनवरी तक नौ दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कथा के कथावाचक पवन द्विवेदी महाराज अयोध्या धाम ने सीता माता की विदाई का प्रसंग सुनाया, तो श्रद्धालुओं की आंखों से आंसू झलकने लगे।
कथावाचक ने गोस्वामी तुलसीदास महाराज द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस के बालकांड में वर्णित जनकपुर से विवाहोपरांत माता सीता जी की विदाई, अयोध्या में राजा दशरथ की चारों पुत्र वधुओं का स्वागत व दासी मंथरा तथा कैकई के कुटिल नीति के संवाद का वर्णन किया। रामायण की सुंदर चौपाइयां सुनकर श्रोता भाव विभोर नजर आए। कथा के माध्यम से महाराज ने कहा कि बडे भाग्य से यह मनुष्य शरीर प्राप्त होता है। मनुष्य शरीर देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना गया है। मनुष्य शरीर की सार्थकता सत्संग व साधना करने में ही है। ऐसा विश्वास करना चाहिए कि सत्संग से सभी दुख नष्ट हो जाते हैं। यह मानव शरीर सत्संग और ध्यान करने का घर व मोक्ष का द्वार है। मनुष्य शरीर परमात्मा का ही अंश है और सत्संग व साधना करके इसी मनुष्य शरीर से परमात्मा पद को प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सत्संग से संस्कार कभी खत्म नहीं होता है। सच्चे संत के दर्शन मात्र से मन का मैल समाप्त हो जाता है। संतों के उपदेश पर चलने पर ही कल्याण संभव है। कथावाचक ने कहा कि संत, सतगुरु कामधेनु व कल्पतरु रूप के समान सभी मनोरथ पूर्ण करने वाले होते हैं, श्रीराम कथा विश्व कल्याणदायनी है। यही वजह है कि श्रीरामचरित मानस में गुरु, माता-पिता,पुत्र-पुत्री, भाई, मित्र, पति-पत्नी आदि का कर्तव्य बोध एवं सदाचरण की सीख हमें सर्वत्र मिलती है। कथा वाचक पण्डित पवन द्विवेदी महाराज अयोध्या धाम ने क्षेत्रीय संगीत की धुन पर भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने को विवश कर दिया। इस दौरान कथा के पंडाल में भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।