कुम्भ में डुबकी लगाती सरकार और जनता के मुद्दे

– राकेश अचल


शायद मैं ही पापी हूं जो 144 साल बाद आए महत्वपूर्ण नक्षत्रों और तिथियों वाले महाकुम्भ में डुबकी लगाने नहीं जा रहा, अन्यथा उत्तर प्रदेश की सरकार और देश के तमाम ज्वलंत मुद्दे महाकुम्भ में डुबकी लगाकर तरते दिखाई दे रहे हैं, और तो और अमेरिका में रिश्वत देने के आरोपी भी इस महाकुम्भ में डुबकी के लिए पहुंच चुके हैं। लेकिन मुझे महाकुम्भ में डुबकी न लगाने का कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि मैंने अभी तक जान-बूझकर कोई पाप नहीं किया और अनजाने पापों के लिए मुझे कोई आत्मग्लानि नहीं है।
आपको हैरानी होगी कि इस महाकुम्भ की वजह से दिल्ली का विधानसभा चुनाव नीरस हो गया, और तो और अमेरिका के महाबली राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह के सीधे प्रसारण को उतनी टीआरपी नहीं मिली जितनी महाकुम्भ में मालाएं बेचने वाली कथित मोनालिसा के विवाह को मिल चुकी है। ये महाकुम्भ का ही प्रभाव है शायद कि जीतनराम माझी के एनडीए छोडने की खबरों को कोई तवज्जो नहीं दे रहा। किसी को इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का रामचरित को लेकर ज्ञान कितना सतही है? केजरीवाल कहते हैं कि सीताहरण के लिए रावण ने स्वर्णमृग का रूप धरा था।
महाकुम्भ में पुण्य लाभ की लालसा गरीब से गरीब और अमीर से अमीर आदमी में ही नहीं बल्कि सरकारों में भी है। खबर है कि उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक कुम्भ में ही हो रही है। बैठक के बाद उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सभी मंत्रियों के साथ महाकुम्भ में डुबकी लगाकर पाप विमोचित होने की कोशिश करेंगे। मैं इस टोटके को कोशिश इसलिए कह रहा हूं क्योंकि उप्र सरकार के पापों की संख्या कम नहीं है। उप्र की सरकार ने बुलडोजरों और फर्जी मुठभेडों के जरिये कितने पाप किए हैं, ये गिनाने की जरूरत नहीं है। हमारे मध्य प्रदेश की सरकार भी उज्जयनी में जब सिंहस्थ होता है तब ऐसा ही टोटका करती है। ऐसा करने में सरकार के बाप का क्या जाता है? पानी में तो जाती है जनता की गाढ़ी कमाई से मिला पैसा।
महाकुम्भ में पुलिस पिछले दिनों हुए अग्निकाण्ड के पीछे साजिश की तलाश कर रही है तो अमेरिका की पुलिस के लिए वांछित भारत के नंबर दो के धनकुबेर गौतम अडानी हाथ में कडछी लिए महाकुम्भ में प्रकट हो चुके हैं। वे महाप्रसाद बनाने में सहयोग कर रहे हैं। महापाप के बाद महाप्रसाद बनाना कितना कौतूहल पैदा करता है? अडानी सपरिवार महाकुम्भ में गए हैं। उन्हें वहां मीलों पैदल थोडे ही चलना पडा है। वे उसी इस्कॉन के शिविर में हैं जिसके खारघर मुंबई में बने मंदिर का लोकार्पण हाल ही में प्रधानमंत्री जी ने किया है। अडानी का इस्कॉन से जितना गहरा रिश्ता है उतना ही उप्र की सरकार से भी है। अगले महीने उनके बेटे की शादी है, इसलिए वे महाकुम्भ में इस्कॉन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
महाकुम्भ में भारत के ए-1 मुकेश अम्बानी भी आते लेकिन उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुला लिया। मुकेश भाई महाकुम्भ से ज्यादा महत्वपूर्ण महाशपथ को मानते थे, इसलिए वे पहले अमेरिका गए, मुमकिन है कि बाद में प्रयागराज भी जाएं, क्योंकि पाप विमोचित होने की इच्छा तो उनकी भी होगी ही। हो सकता है कि वे मोक्ष की कामना लेकर कुम्भ में जाएं भी या न भी जाएं। क्योंकि यदि वे सगुणोपासक हुए तो मोक्ष लेकर क्या करेंगे, उन्हें तो हरि भक्ति की लालसा होगी। ये तो गनीमत है कि इस महाकुम्भ में भक्तों को उस तरह मुफ्त में भर-भरकर देशभर से प्रयागराज नहीं ले जाया जा रहा, जैसे कि अयोध्या में रामलला के दर्शन कराने के लिए ले जाया गया था। तब डबल इंजिन की सरकारों ने अपने खजाने खोल दिए थे। भाजपा और संघ के कार्यकर्ता इस काम के लिए खासतौर पर तैनात किए गए थे। सरकार को पता है कि महाकुम्भ में तो जनता अपने -आप पहुंच जाती है। अयोध्या में घेरकर ले जाना पडती है और मुफ्त में दर्शन करने के बाद अयोध्या में जीत मिली थी समाजवादी पार्टी को।
बहरहाल कुम्भ में अभी केन्द्र सरकार का और पापी कांग्रेस के नेताओं का डुबकी लगना बांकी है। महाकुम्भ में डुबकी लगाए बिना न भाजपा के पाप धुलने वाले हैं और न कांग्रेस के। बांकी राजनीतिक दलों के बारे में मै कुछ कहना नहीं चाहता। अभी महाकुम्भ में तीन सप्ताह और बाकी हैं। जिसके मन में ग्लानि हो, पाप विमोचन का सपना हो, वो प्रयागराज जा सकता है। जो नहीं जा पा रहा वो अपने स्नानागार में ही गंगाजल मिले जल से स्नान कर पाप विमोचित हो सकता है (ऐसा जगदगुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है) मैंने तय किया है कि मैं सपत्नीक प्रयागराज महाकुम्भ के बाद जाऊंगा तब तक गंगा मैया भी साफ-सुथरी हो चुकी होंगीं।