कथा व्यास ने किया ध्रुव चरित्र का मनमोहक वर्णन

भिण्ड, 06 अक्टूबर। आलमपुर क्षेत्र के गौंड बाबा मन्दिर पर चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार को कथाव्यास रमाकांत खेमरिया कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। व्यक्ति को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्याग कर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोह माया से दूर रहता है। कथा में आगे रमाकांत खेमरिया ने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए बताया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे एक बहुत बडा संकट टल गया। उन्होंने कहा कि परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य एवं संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए। उन्होंने बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र की बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है। उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। उन्होंने कपिल चरित्र, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड भरत चरित्र, नरसिंह अवतार कथाओं का भी वर्णन किया। कथा के अंत में भगवान विष्णु की आरती की गई।