खेतों में खड़ी ज्वार, बाजरा एवं धान की फसल को भी भारी नुकसान
भिण्ड, 18 अक्टूबर। जिले में रविवार शाम से हो रही भारी बारिश के चलते खेतों में पानी भरने के कारण अधिकांश फसलों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों ने बताया कि खेतों में खड़ी ज्वार, बाजरा एवं धान की फसल एवं रबी की बुवाई वाली तिलहन की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इस बारिश से इन दिनों खेतों में चल रही सरसों का बीज खेतों में ही रह गया।
किसानों ने बताया कि क्षेत्र में इस वर्ष सभी प्रकार की खरीफ की फसलें बहुत अच्छी बनी हुई थीं, लेकिन रविवार शाम से लगातार हो रही भारी बारिश से फसलों को काफी नुकसान हुआ है। जिले के जिन इलाकों में धान की फसल होती है, वहां धान की फसलें भी पूरी तरह से डूब में आने से खराब हो गई हैं। किसान अजय कुमार एवं हरवेश ने बताया कि दो दिन पूर्व ही सरसों का महंगा बीज लेकर बोवनी की थी, लेकिन जैसे ही वर्षा का लगातार होना शुरू हुआ फसल पूरी खराब हो गई। और बीज खेतों में ही रह गया। इन दिनों बोई जा रही तिलहन की फसलों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है। खाद भी पानी के साथ बह गई और बीज भी खेतों में ही सड़ गया। मौसम की मार से सभी ओर किसान बेहाल है। किसान कमलेश बौहरे ने कहा कि हमारी ज्वार एवं बाजरा की फसल में तेजी से बाल, फूल एवं दाने पडऩे लगे थे। लेकिन लगातार बारिश से खेत भरने के कारण फसल खराब हो गई।
सब्जी पर भी बारिश की मार
किसान रामसिंह एवं राजवीर ने बताया कि हमारे पास बहुत कम जमीन है। जैसे-तैसे सब्जी उगाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं लेकिन लगातार बारिश होने से टमाटर, बैगन, मिर्च, धनियां, मूली, पालक आदि की फसल नष्ट हो गई है, अब हमें अपनी आजीबिका चलाने की चिंता हो रही है।
अचानक बरसी आफत
जिले में रविवार से लगातार हो रही बारिश ने कोहराम मचा कर रख दिया है, किसानों की पकी धान की एवं बाजरा की फसल जो कुछ ही दिनों के अंतराल में कटने वाली थी, वह पूरी तरह से बरसात के पानी मे नष्ट हो गई। रविवार की शाम से ही अचानक काली घटाएं आकर किसानों की किस्मत पर बरसने लगी और खेतों में खड़ी पकी फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है, इस कारण से किसानों के ललाट पर चिंता की लकीरें साफतौर पर देखी जा रही हैं।
सहयोग नहीं करते कृषि अधिकारी
किसानों ने बताया कि क्षेत्र में कृषि विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों का किसानों को सहयोग नहीं मिल रहा है। योजनाओं एवं सलाह के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। वर्तमान में किसानों को कृषि विभाग के कर्मचारियों की सलाह की आवश्यकता है लेकिन बह उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।
मुआवजे पर प्रश्न चिन्ह
किसानों पर प्रकृति का प्रकोप लगातार जारी है ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई, पूर्व में कई गांवों में बाढ़ आपदा से किसानों को आर्थिक क्षति हुई थी और अब फसल नष्ट होने से फिर भुखमरी जैसी स्थिति किसानों के जीवन में बनकर उभर रही है। ऐसे में जब पटवारियों एवं अधिकारियों से चर्चा करने पर उनके द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश के बाद कार्रवाई करने का हवाला दिया गया। अब प्रश्न यह उठता है कि किसानों के हुए नुकसान का मुआबजा प्रशासन के द्वारा उन्हें दिया जाएगा या नहीं यह एक प्रश्न बना हुआ है। भारतीय किसान संघ जिलाध्यक्ष का कहना है यदि प्रकृति की मार से किसान काफी पीडि़त है अतिवृष्टि से फसलों में भारी क्षति हुई हैं। शासन-प्रशासन से शीघ्र सर्वे कराकर मुआवजा देने की मांग की हैं।
जिले में 905.8 मिमी औषत वर्षा
भिण्ड जिले में गत एक जून से 18 अक्टूबर तक 905.8 मिमी औषत वर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू अभिलेख भिण्ड के अनुसार यह औषत वर्षा जिले के भिण्ड में 1175.2 मिमी, अटेर में 889 मिमी, मेहगांव में 868 मिमी, गोहद में 854 मिमी, लहार में 981 मिमी, रौन में 809 मिमी, मिहोना में 858 मिमी, मौ में 840 मिमी एवं गोरमी में 881 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। जिसका औसत 905.8 मिमी है। जिले की सामान्य वार्षिक वर्षा 668.3 मिमी है। जिले में सोमवार की वर्षा भिण्ड में 140 मिमी, अटेर में 72 मिमी, मेहगांव में 50 मिमी, गोहद में 56 मिमी, लहार में 54 मिमी, रौन में 57 मिमी, मिहोना में 56 मिमी, मौ में 58 मिमी एवं गोरमी में 52 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जिसका औसत 66.1 मिमी है।