माटी के सब पात्र हैं…

माटी के सब पात्र हैं, सबका सम आधार।
कुम्भकार देता उसे, गढ के कई प्रकार।।1।।

अमित नहीं छोटा बडा, कोई भी इंसान।
जीव सभी में एक सा, सब हैं एक समान।।2।।

मन्दिर में पूजा करें, मस्जिद पढें नमाज।
मात पिता घर में रहें, खाने को मुहताज।।3।।

जीवित को पूछें नहीं, हो गए कैसे लोग।
हार टंगा तस्वीर पर, लगते छप्पन भोग।।4।।

जिस घर में मिलता नहीं, बूढों को सम्मान।
उस घर में बसते नहीं, दीन बंधु भगवान।।5।।

मौलिक एवं अप्रकाशित
जितेन्द्र त्रिपाठी ‘अमित’
जैतपुरा मढी, जिला भिण्ड म.प्र.