भिण्ड, 06 अक्टूबर। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रयोजित कार्यक्रम स्वच्छता पखवाडा के तहत जन शिक्षण संस्थान भिण्ड में पुनर्चक्रण करना, पुन: उपयोग अंतर्गत कार्यालय परिसर में संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि डॉ. देवेन्द्र सिंह चौहान उपस्थित रहे।
डॉ. चौहान ने बताया कि अगर हम अपने ग्रह पृथ्वी को हमारी भविष्य की पीढिय़ों के लिए बचाना चाहते हैं तो आज की दुनिया में पुनर्चक्रण सबसे महत्वपूर्ण है। यह हमारे पर्यावरण को बचाने का सबसे बेहतरीन तरीका है। हम जिन सामानों का उपयोग नहीं करते हैं, उन पुराने उत्पादों से नए उत्पाद बना सकते हैं। अगर हम चाहें तो पुनर्चक्रण घर से भी शुरू कर सकते हैं। यदि आप अपने पुराने उत्पाद को फेंकना नहीं चाहते हैं और आप इससे कुछ नया उपयोग कर रहे हैं, तो आप वास्तव में पुनर्चक्रण कर रहे हैं। जब आप पुनर्चक्रण के बारे में सोचते हैं, तो आपको पूरे विचार से सोचना चाहिए। पुनर्चक्रण में हम तीन चरण का उपयोग करते हैं- उपयोग कम करें, दोबारा उपयोग करें और रीसायकल करें। रीसाइक्लिंग की मदद से पृथ्वी का कचरा कम होता है। इसका एक अन्य कारण यह है कि चीजों को बनाने में उपयोग की जाने वाली कच्ची सामग्री और ऊर्जा की मात्रा में कम खपत होती है। एक अर्थशास्त्री का कहना है कि ज्यादातर पुनर्चक्रण करने में कम ऊर्जा लगती है। पुनर्चक्रण दुनियाभर के कचरे के आकार को कम करने में भी मदद कर रहा है।
कार्यक्रम में संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी दिनेश शर्मा, सहायक कार्यक्रम अधिकारी अंजली शर्मा, योगेन्द्र सिंह तोमर, फील्ड कॉर्डीनेटर संतोष कुमार गुर्जर, लेखाकार हेमंत शर्मा, लिपिक अजय सिंह कुशवाह, कंप्यूटर ऑपरेटर जितेन्द्र शर्मा, प्रशिक्षिका मिथलेश सोनी, अनीता श्रीवास्तव, मधू, सविता श्रीवास, प्रशिक्षक अवधेश शर्मा, धर्मेन्द्र शर्मा, स्थानीय समाजसेवी एवं में 40 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।