जिला बदर आरोपी को छह माह का सश्रम कारावास

सागर, 26 सितम्बर। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, (श्रृंखला न्यायालय) मालथौन, जिला-सागर सुश्री आरती आर्य की अदालत ने राज्य सुरक्षा अधिनियम के आदेशों का उल्लंघन करने वाले जिला बदर आरोपी अनिल कुमार उर्फ मुन्ना तिवारी को दोषी करार देते हुए मप्र राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 14 के तहत छह माह सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 188 भादंवि के अंतर्गत 200 रुपए जुर्माने से दएिडत किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी अनिल अहिरवार ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना बांदरी के निरीक्षक को 23 दिसंबर 2008 को कस्बा भ्रमण के दौरान मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि जिला बदर आरोपी मुन्ना तिवारी छींकनी तिगड्डा पहुंच रहा है, उक्त सूचना की तसदीक हेतु बताए गए पते पर हमराह स्टाफ के साथ पहुुंचने पर रोड किनारे खडे एक व्यक्ति को अनिल उर्फ मुन्ना तिवारी के रूप में पहचाना गया, जिसे हमराह स्टाफ द्वारा घेराबंदी कर अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई, उसने अपना नाम अनिल कुमार उर्फ मुन्ना तिवारी पुत्र बैनीप्रसाद निवासी नरयावली का होना बताया। जिला बदर के संबंध में पूछने पर उसने जिला दण्डाधिकारी सागर द्वारा जिला बदर आदेश को केन्द्रीय कारागार सागर से प्राप्त होना बताया, जिसकी कार्यालय से तसदीक करने पर उक्त व्यक्ति का जिला दण्डाधिकारी सागर द्वारा मप्र राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 3(2), 5/6 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए संलग्न आदेशानुसार एक वर्ष की अवधि के लिए सागर जिले से एवं समीपवर्ती सीमा से लगे जिलों की भौगोलिक सीमा से निष्कासित करना बताया गया। आरोपी को उक्त आदेश का उल्लंघन करना पाए जाने से मप्र राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 14 के अंतर्गत अपराध पाए जाने पर मौके पर उपस्थित साक्षीगण के समक्ष गिरफ्तार किया गया। उक्त आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना बांदरी पुलिस ने मप्र राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 14 एवं धारा 188 भादंवि का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (श्रृंखला न्यायालय) मालथौन, जिला-सागर आरती आर्य के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।