आचार्य के सानिध्य में बालकों में धार्मिक शिक्षा संस्कार के लिए चैत्यालय जैन मन्दिर में अरुणोदय जैन पाठशाला का हुआ शुभारंभ
भिण्ड, 24 सितम्बर। वाक्केसरी आचार्य 108 विनिश्चय सागर महाराज ने पर्यूषण पर्व पर विशेष प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए छठवें दिन उत्तम संयम धर्म पर कहा कि आज का धर्म इन्द्रियों के विषय और मन में सांसारिक वस्तुओं के प्रति आसक्ति से दूर हटाता है। संयम यानि नियंत्रण और अपने आप पर, अपने मन पर, आसक्ति पर, इन्द्रियों के विषय पर जब नियंत्रण होता है वहां उत्तम संयम धर्म हृदय में निवास करता है। बाहरी शत्रुओं के विरुद्ध लडना बहुत आसान है, पर अपने ही विरुद्ध युद्ध छेडना अपनी ही बुराईयों से लडना, अपनी आसक्तियों को जीतना ही संयम है। जो अपने आपको जीत लेते हैं वे महावीर हैं, महासंयमी हैं, महान योद्धा हैं। ऐसे योद्धा स्वयं अपने ही विरुद्ध युद्ध लडते हैं, तभी वो संयमी कहला पाते हैं।
आचार्य ने शास्त्रों में सुदर्शन सेठ की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि वो श्मशान में ध्यान करते थे, रानी की उन पर आसक्ति हो गई तो श्मशान से ध्यान करते वक्त ही उसी मुद्रा में उन्हें उठवा लिया, पर धन्य थे सुदर्शन सेठ के परिणाम। रानी ने हर प्रकार की कुचेष्टा की, हर तरीके से सुदर्शन सेठ को रिझाना चाहा, निकृष्ट से निकृष्ट हरकत की पर सुदर्शन सेठ ने रानी की ओर देखा तक नहीं। ऐसा कोई प्रलोभन नहीं बचा रानी के पास जो उसने सुदर्शन सेठ को न दिया। लेकिन सुदर्शन सेठ रंच मात्र भी नहीं डिगे। सुदर्शन सेठ ने अपने संयम को सम्हाला। सामने सभी निमित्त होते हुए भी वे फिसले नहीं। अंत में रानी ने झूठा आरोप लगाकर सुदर्शन सेठ को फंसा दिया। राजा को पता चला उसने सेठ को सूली की सजा सुना दी। लेकिन सुदर्शन ने अपने संयम को उत्तम बनाने का संकल्प ले रखा था और जब उन्हें सूली पर चढाया गया, तो सूली भी सिंहासन में परिवर्तित हो गई। ये संयम की दृढता का प्रभाव था। जो अपने संयम की रक्षा करते हैं देवता भी उनके चरणों में प्रणाम करते हैं, उनकी रक्षा करते हैं।
आचार्यश्री के पाद प्राच्छालन का सौभाग्य मानिकचंद्र राजीव कुमार जैन (एलआईसी वालों) को प्राप्त हुआ। दोपहर में तत्वार्थ सूत्र का वाचन आचार्य के मुखारिबंद से किया गया। बालक-बालिकाओं में धार्मिक संस्कार देने के लिए आचार्य के सानिध्य में आज आदिनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय मन्दिर में अरुणोदय जैन पाठशाला का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर पाठशाला के बच्चों ने शाम छह बजे आचार्य के समक्ष भव्य आरती, भजन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति दी।