– राकेश अचल
चहचहाना केवल चिडियों का एकाधिकार नहीं रह गया है, अब मनुष्य भी चहचहाना सीख गया है। चिडियों के चहचहाने को हिन्दी में कलरव कहते हैं, लेकिन अंग्रेजी में इसे ट्वीट करना कहते हैं। पच्छियों को तो चहचहाने का जन्म सिद्ध अधिकार प्राप्त था किन्तु मनुष्यों को ये अधिकार 17 साल पहले डोरसी और इवान विलियम ने दिया। उन्होंने ही मनुष्यों को चहचहाना सिखाया। आज दुनिया का हर आदमी चहचहाना सीख रहा है। आम आदमी से लेकर खास आदमी को चहचहाने का अधिकार है। कालांतर में ये चहचाहट गले की हड्डी बन गई है।
चहचहाना अब एक धर्म भी है और सम्प्रदाय भी। आज दुनिया में इस चहचाहट को सुनने वाले असंख्य है। जिसकी जितनी चहचाहट सुनी जाती है, उसे उतना बडा गुरू माना जाता है। चहचाहट सुनने वालों को ‘फॉलोअर’ कहा जाता है। हिन्दी में इसे अनुयायी कहते हैं। अनुयायी पहले केवल धार्मिक गुरुओं के होते थे, लेकिन अब नेताओं के भी होने लगे हैं। अब एक चहचाहट क्रान्ति ला सकती है, उथल-पुथल मचा सकती है। आपको रातों-रात हीरो बना सकती है और खलनायक भी। चहचहाना एक तरह से रक्तविहीन कत्ल जैसा है। आप कह सकते हैं कि ‘करते हैं कत्ल हाथ में तलवार भी नहीं’ जैसा।
हमारे देश में चहचहाकर कत्ल करने वालों की कमी नहीं है। ट्विटर के कातिल अपने काम से डरते भी नहीं हैं। हमारे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस मामले में सबसे आगे हैं। 75 पार के दिग्विजय सिंह खानदानी आदमी हैं। राघौगढ़ के पूर्व राजा हैं। लोग उन्हें प्यार से दिग्गी राजा कहते हैं। दिग्गी राजा जब भी ट्वीट करते हैं, लोग पढक़र न सिर्फ चहक जाते हैं बल्कि सीधे पुलिस थाने या अदालत की शरण लेते हैं। क्योंकि उनका विश्वास आज भी पुलिस और अदालतों पर बरकारार है। ये एक तरह से शुभ संकेत है, अन्यथा भारत में अब सियासत ने सभी को अविश्वसनीय बना दिया है।
बहरहाल मैं दिग्गी राजा के चहचहाने की बात कर रहा था। उन्होंने हाल ही में ट्विटर की डाल पर बैठकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आदि पुरुष गुरू गोलवलकर के बारे में एक ट्वीट कर दिया, यानी चहचहा दिया। दिग्विजय सिंह ने चहचहा कर कहा कि ‘गुरू गोलवलकर दलितों, पिछडों और मुस्लिमों के जल, जंगल और जमीन के अधिकार के खिलाफ थे’। दिग्विजय सिंह की यही चहचाहट अधिवक्ता राजेश जोशी को खल गई और वे इंदौर के तुकोगंज थाने में अपनी शिकायत लेकर पहुंच गए। राजेश जोशी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छवि खराब करने और धार्मिक भावनाओं को भडकाने का आरोप लगाते हुए पुलिस से इस मामले की शिकायत की। शिकायत के बारे में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की तस्वीरों के साथ एक अनर्गल पोस्ट प्रसारित की थी, जिसे लेकर शिकायत मिली थी, जिस पर एफआईआर दर्ज की गई है। तुकोगंज थाना पुलिस ने बताया कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ धारा 153ए, 469, 500 और 505 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है।
दिग्विजय सिंह को भाजपा की नेत्री सुश्री उमा भारती ने ‘बंटाधार’ की उपमा से विभूषित किया था, ये बात 2003 की है। तब संयोग से दुनिया में मनुष्यों को चहचहाने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, अन्यथा मुमकिन है कि उसी समय दिग्गीराजा उमा जी के खिलाफ पुलिस थाने में चले जाते। लेकिन वे नहीं गए। वे राजनीतिक वनवास पर चले गए और 2018 में मध्य प्रदेश में भाजपा की डेढ़ दशक पुरानी सरकार का बंटाधार करके ही वापस लौटे। दुनिया में दिग्विजय कि चहचाहट सुनने वालों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, फिर भी दो लाख लोग तो उन्हें सुन ही लेते हैं।
ट्विटर संप्रदाय में सबसे ज्यादा पूछ-परख अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की है। ओबामा का ट्विटर हैंडल @BarackObama के नाम से है। वर्तमान में उनके ट्विटर पर 133.3 मिलियन फॉलोअर्स हैं, जिसके कारण वो दुनिया की सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाली हस्ती बने हुए हैं। सबसे ज्यादा फॉलोअर्स की संख्या में ओबामा राजनीति समेत मनोरंजन, खेल, व्यापर समेत सभी क्षेत्र के लोगों से आगे हैं। युगावतार हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चहचहाने के मामले में पीछे नहीं हैं। वे भले ही भारतीय प्रेस के सामने न बोलते हों लेकिन जब भी कुछ अच्छा-बुरा होता है वे चहचहाते जरूर हैं। लोग उनके चहचहाने का इंतजार करते हैं। मोदी जी का ट्विटर हैंडल @narendramodi के नाम से है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 84 मिलियन फॉलोअर्स हैं। इस कारण भारत में तो वह सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाली हस्ती हैं। वह दुनिया की भी टॉप फॉलोअर्स लिस्ट में रहते हैं। वह दुनिया के सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाले प्रधानमंत्री हैं, जिसके कारण वह टॉप 10 में हमेशा बने रहते हैं। उनकी तमाम उपलब्धियों में से एक बडी उपलब्धि ये भी है। राहुल गांधी के ट्विटर फॉलोअर की संख्या मोदी जी के मुकाबले बहुत कम यानी दो करोड है।
बात दिग्विजय सिंह के चहचहाने और इसे लेकर उनके खिलाफ पुलिस में रपट लिखाये जाने की है। दिग्विजय सिंह ने लगता है जान-बूझकर अपने पांवों पर कुल्हाडी मारी है। उन्हें नहीं पता कि आज-कल डबल इंजिन की सरकार हो या सिंगल इंजिन की, सरकार मानहानि और भावनाएं भडकाने के मामले में बहुत गंभीर है। गौतम गंभीर भी अपने खेल के प्रति उतने गंभीर नहीं होंगे जितनी कि हमारी सरकारें मुकद्दमें कायम करने और उन्हें अदालत तक ले जाने के मामले में हैं। सरकारों के साथ ही अदालतों की ही गंभीरता का परिणाम है कि आज कांग्रेस के राहुल गांधी मानहानि के मामले में सजायाफ्ता हैं और लोकसभा की सदस्यता गंवा बैठे हैं। दिग्गी राजा भी शायद यही चाहते हैं। अन्यथा उन्हें क्या जरूरत थी किसी के गुरू के बारे में चहचहाने की?
संघ के गुरू जैसे भी हैं उनके अपने है। पूजनीय हैं। दिग्गी राजा से किसी ने ये तो नहीं कहा था कि आप भी संघ के गुरू गोलवलकर जी को पूजिये! मत पूजिये, लेकिन खामोश तो रहिये। अब देखिये न एक जरा सी चहचाहट की वजह से कितने संघी भाइयों-बहनों की आत्मा को दु:ख पहुंचा है। दिग्गी राजा पहले भी इसी तरह संघ को लेकर चहचहा चुके हैं। वो तो उनकी किस्मत है कि अब तक किसी अदालत ने उन्हें जेल नहीं भेजा, मामला अदालत में ही निबट-सुलझ जाता है, लेकिन अब जमाना बदल गया है। दिग्गी राजा को एहतियात बरतना चाहिए। कांग्रेस को उनकी अभी बहुत जरूरत है। उनके बेटे को उनकी बहुत जरूरत है। कहीं किसी अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया तो कांग्रेस और उनके बेटे का क्या होगा?
मुमकिन है कि आपको दिग्गी राजा खलनायक लगते हों, बंटाधार दिखाई देते हों, किन्तु वे मुझे आज की सियासत का एक अहम किरदार लगते हैं। मैं उनका फॉलोअर तो नहीं, लेकिन प्रशंसक जरूर हूं। किसी की प्रशंसा करना किसी की भावनाओं को भडकाने से ज्यादा बेहतर है। मैं दरअसल डरपोक आदमी हूं। इसलिए मैंने आज तक ट्विटर पर अपना खाता नहीं खोला। मुझे लगता है कि ट्विटर पर चहचहाना ‘नक्कार खाने में तूती बजाने’ जैसा है। आज कल कोई, किसी की नहीं सुनता है। नीचे से लेकर सब अनसुना करने वाले बैठे हैं। राजेश जोशी तो भावुक आदमी हैं सो उन्होंने दिग्गी राजा के चहचहाने को गंभीरता से ले लिया, अन्यथा कहते हैं कि दिग्विजय सिंह को कभी किसी ने गंभीरता से लिया ही नहीं, सिवाय राहुल गांधी के।
अपनी बात समाप्त करने से पहले मेरी अपने पाठकों, मित्रों, शुभचिंतकों को एक ही सलाह है कि वे चहचहाने से बचें। मन की बात मन में रखें और जब चुनाव हों तो ईवीएम के जरिये अपनी बात कहें। ईवीएम पर अपना ख्याल जाहिर करने से एफआईआर का खतरा बिल्कुल नहीं रहता। कलिकाल में ईवीएम ही हम सबकी भाग्य विधाता है।