महाकाल लोक घोटाले की जांच हाईकोर्ट के न्यायाधीश से कराई जाए

कांग्रेस जिलाध्यक्ष कुशवाह एवं प्रदेश प्रवक्ता जरारिया ने पत्रकारों के समक्ष उठाई मांग

भिण्ड, 03 जून। करोड़ों रुपयों की लागत से निर्मित उज्जैन के महाकाल लोक का घोटाला उस समय उजागर हो गया, जब 30 किमी प्रति घण्टा की रफ्तार से हवा चली और प्रधानमंत्री द्वारा उदघाटन किए गए महाकाल लोक की भ्रष्टाचार से निर्मित की गई प्रतिमाएं धराशाई हो गईं। यह बात शनिवार को जिला कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कांग्रेस जिलाध्यक्ष मानसिंह कुशवाह, लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी एवं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता देवाशीष जरारिया ने संयुक्त रूप से कही। इस अवसर पर कांग्रेस के जिला प्रवक्ता डॉ. अनिल भारद्वाज, मनोज दैपुरिया मौजूद रहे।
उन्होंने इस धार्मिक कार्य में प्रदेश सरकार द्वारा किए गए उज्जैन महाकाल लोक के घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से कराने की मांग करते हुए कहा कि अक्टूबर 2022 में प्रधनमंत्री ने उज्जैन के महाकाल लोक का उदघाटन किया था, तो झूठ की राजनीति करने वाली भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को श्रेय देने से पूरी तरह इंकार कर दिया, जबकि तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा इस योजना के लिए 97 करोड़ 71 लाख रुपए प्रस्तावित किए थे। जब कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस राशि को अपर्याप्त मानते हुए इस राशि को बढ़ाकर 300 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की थी। हल्की हवा के झोंके से महाकाल लोक की प्रतिमाएं धराशाई हो जाने के बाद कमलनाथ ने एक प्रतिनिधि मण्डल विशेषज्ञों के साथ इसकी जांच के लिए भेजा तो विशेषज्ञों ने माना कि यह प्रतिमाएं हर तरह से अमानक स्तर पर निर्मित की गई हैं, इसी वजह से यह जरा सी आंधी में जमींदोज हो गईं। साथ ही यह भी जानकारी हासिल हुई कि इन प्रतिमाओं की कीमत लागत से काफी अधिक खर्च की गई है। उधर उदघाटन अवसर पर करोड़ों रुपए शान और शौकत में व्यर्थ व्यय किए गए।
खण्डित मूर्तियों की स्थापना नहीं होती
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि उज्जैन कलेक्टर द्वारा सात दिनों में ही मूर्तियों की पुनस्र्थापना की गई, जिससे स्पष्ट है कि खण्डित मूर्तियों को जोडक़र पुनस्र्थापित किया जाएगा, जबकि पुराणों के मुताबिक खण्डित मूर्तियों की स्थापना नहीं की जाती है।