नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले जीजा को 20 वर्ष का सश्रम कारावास

सागर, 31 मार्च। विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश जिला सागर श्रीमती ज्योति मिश्रा की अदालत ने नाबालिगा के साथ जबरन दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त जीजा को दोषी करार देते हुए लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(एन), सहपठित धारा 6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं आठ हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। उक्त मामले में प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में पैरवी विशेष लोक अभियोजक मनोज पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 06 जनवरी 2021 को शिकायतकर्ता पीडि़ता ने थाना नरयावली में रिपोर्ट लेख कराई कि चार जनवरी को अभियुक्त के पापा व भाई, उसकी बुआ की गंगाजली में सागर आए थे, घर पर वह और उसकी छोटी बहिन अकेले थे, रात को अभियुक्त वापस आ गया था और उन लोगों के साथ रुका था। पांच जनवरी को सुबह करीब चार बजे अभियुक्त ने उसे उठाया और उससे पीने के लिए पानी मांगा, तो उसने पानी नहीं दिया और वह बाथरूम जाने लगी तो अभियुक्त ने बुरी नियत से उसका हाथ पकड़ा एवं उसे जमीन पर पटक दिया तथा उसका मुंह दबाकर जबरदस्ती उसके साथ गलत काम किया, फिर अभियुक्त सुबह घर से चला गया। रात में जब भाई सागर से घर आया तो उसने सबसे बड़ी बहिन को फोन करके घटना बताई, जिसने घर वालों को घटना बताई थी। तत्पश्चात छह जनवरी को अपने पिता व भाई के साथ रिपोर्ट की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना नरयावली पुलिस ने धारा 376(1), 376(2)(एफ) भादंवि एवं धारा 5(एन), सहपठित धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।