पैर कब्र में लटके हैं सर

⊗ राकेश अचल

पैर कब्र में लटके हैं सर
फिर भी कितने खटके है सर
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आधे भरे छलक जाते हैं
आखिर ये भी मटके हैं सर
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पूरे घर को महका देंगे
फूल बहुत ही टटके हैं सर
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इन्हें आपकी कृपा चाहिए
साथी ये मरघट के हैं सर
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चल जाएंगे खोटे सिक्के
देखो सबसे हट के हैं सर
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संकटमोचक हैं, दलाल हैं
राही ये घट-घट के हैं सर
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जहां सभी पीते हैं पानी
चित्र नये पनघट के हैं सर
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बहस कभी होगी नामुमकिन
बहुत विधेयक अटके हैं सर