एक अन्य अवयस्क आरोपी किशोर बोर्ड में है विचाराधीन
सागर, 22 फरवरी। अपर सत्र न्यायाधीश देवरी, जिला सागर के न्यायालय ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर लड़की की हत्या कारित करने वाले आरोपीगण गनपत पुत्र गंगाराम अहिरवार, राजकुमार पुत्र सुखई अहिरवार एवं नीरज पुत्र गनपत अहिरवार को धारा 302 भादंवि के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 452 के तहत दो वर्ष का सश्रम कारावास व 500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। एक अन्य अभियुक्त जितेन्द्र अवयस्क होने से उसका विचारण किशोर न्याय बोर्ड में विचाराधीन है। मामले की पैरवी वरिष्ठ सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना देवरी में उपनिरीक्षक को 24 मई 2020 को सूचना मिली कि देवरी अस्पताल मे डायल 100 में आहत विमला को आग लगने से इलाज हेतु अस्पताल लेकर आए हैं, तब सीएचसी देवरी में उक्त आहत से पूछताछ कर देहाती नालसी लेख की गई, जिसके अनुसार आहत ने बताया कि 22 मई 2020 को रात्रि में भाई बलराम एवं चाचा की साराज आरती कहीं भाग गई, उसी बात को लेकर 24 मई 2020 को रात आठ बजे जब वह दरवाजे पर खड़ी थी, उसके मम्मी-पापा पड़ोस में गए थे, तभी अभियुक्त गनपत, राजकुमार, नीरज और जितेन्द्र आए और भाई बलराम एवं मम्मी-पापा को गालियां देने लगे। जब गालियां देने से मना किया तो उसे मारने के लिए आरोपीगण घर के अंदर घुस आए, फरियादी डर के कारण खाना बनाने वाले कमरे में आकर दरवाजा बंद करने लगी तो चारों दरवाजे को धक्का मारकर अंदर आ गए और जान से मारने की नियत से राजकुमार ने कमरे में रखी मिट्टी के तेल की कुप्पी उठाकर उसके ऊपर डाल दी, जब वह भागने लगी तो नीरज व जितेन्द्र ने दोनों हाथ पकड़ लिए, वह चिल्लाई तो मम्मी-पापा आ गए, तब गनपत ने गैस चूल्हे के पास रखी माचिस उठाकर उसे आग लगा दी और चारों लोग भाग गए, वह जलते हुए घर के आगन में आई तो मम्मी-पापा ने पानी डाला और 100 डायल से मम्मी-पापा के साथ शासकीय अस्पताल देवरी आई, जहां उसे जिला अस्पताल सागर में इलाज के लिए रिफर कर दिया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया एवं अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना देवरी पुलिस ने भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 302, 302/34, 294, 452 का अपराध आरोपियों के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत अपर-सत्र न्यायाधीश देवरी, जिला सागर के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।