भरत का सिद्धांत लक्ष्य प्राप्ति व राम के प्रेम को दर्शाता है : रामस्वरूपचार्य जी

मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर पर चल रही श्रीराम कथा का सातवां दिन

भिण्ड, 21 फरवरी। श्री मंशापूर्ण हनुमान जी की प्रेरणा पीडब्ल्यूडी प्रांगण में चल रही श्रीराम कथा में सातवे दिन श्रीश्री 1008 जगतगुरू रामस्वरूपचार्य जी महाराज ने भरत चरित्र एवं श्रीराम विवाह की कथा का वर्णन किया।
श्री रामस्वरूपचार्य महाराज ने भरत चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाते हुए लोगों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत का। वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। स्वार्थ के कारण आज भाई-भाई जहां दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं, वहीं भरत चरित्र त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम का दूसरा उदाहरण है। भरत का विग्रह श्रीराम की प्रेम मूर्ति के समान है। जिससे भाई के प्रति प्रेम की शिक्षा मिलती है। इस मनुष्य जीवन में भाई व ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं है, तो वह जीवन पशु के समान है। कहा कि सभी को भरत और श्रीराम से भाई व ईश्वर प्रेम की सीख लेनी चाहिए। भरत के राम के प्रति भातृ प्रेम को बताया।
उन्होंने कहा कि भरत ने राजतिलक का परित्याग कर भातृ प्रेम की अनूठी मिसाल पेश कर समाज को जो संदेश दिया, वह आज लोग भूलते जा रहे हैं। रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और हमें लोभ लालच न कर प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देती है। रामायण में भरत ही एक ऐसा पात्र है, जिसमें स्वार्थ व परमार्थ दोनों को समान दर्जा दिया गया। इसलिए भरत का चरित्र अनुकरणीय है। भरत चरित्र का प्रत्येक प्रसंग धर्म सार है क्योंकि भरत का सिद्धांत लक्ष्य की प्राप्ति व राम के प्रेम को दर्शाता है। कथा में परीक्षित बृजभूषण सिंह तोमर, मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर समिति के अध्यक्ष एवं जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्यामसुंदर सिंह जादौन, ओमप्रकाश पुरोहित, पूर्व नपा उपाध्यक्ष रामनरेश शर्मा, अभिभाषक राममिलन शर्मा, प्रदीप मिश्रा, श्रीमती कल्पना मिश्रा, गणेश भारद्वाज, पार्षद ओमप्रकाश अग्रवाल, भाजपा नेता विनोद शिवहरे आरती में मौजूद थे।

हनुमान चरित्र कथा आज

श्री मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर पर चल रही श्रीराम कथा में 22 फरवरी को हनुमान चरित्र की कथा का श्रीश्री 1008 रामस्वरूपाचार्य मुखारविंद से वर्णन किया जाएगा।