पंच कल्याणक महोत्सव के तीसरे वे दिन तप कल्याणक पर बारात, वैराग्य और दीक्षा का हुआ आयोजन
युवराज पदम कुमार का राज तिलक के साथ बारात निकाली, सजे तोरणद्वार, वैराग्या देखकर लोगा हुए भावुक, हुई दीक्षा
भिण्ड, 23 दिसम्बर। जिस प्रकार दूध कच्चा होता है, लेकिन उसे गरम करने पर मलाई, घोटने पर रबड़ी और दूध में नीबू डालने पर दही और फिर उसी से मक्खन बनता है। उसी प्रकार मक्खन रूपी हमारा धर्म है। यह बात मुनि श्री विनय सागर महाराज ने शुक्रवार को कीर्तिस्तंभ परिसर में चल रहे श्री नवग्रह पंच कल्याणक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। मंच पर मुनि श्री ध्याननंद सागर महाराज मौजूद थे।
मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि इस शरीर को जितना मथोगे, त्याग करोगे, उससे तुम्हारा जीवन धर्ममय हो जाएगा। तप, त्याग करने से हर व्यक्ति तीर्थंकर बन सकता है। मुनिश्री को नवीन पिच्छी अशोक साधना आकाश डॉ. दीप्ति जैन अम्बाह एवं पुरानी पिच्छी राजेश सरिता जैन ग्वालियर को प्राप्त हुई। मंच संचालन उमेश जैन भिण्ड ने किया।
युवराज पदम कुमार का हुआ राज्य अभिषेक, कई राज्यों से बधाई देने आए मुकुटधारी राजा
आयोजन के मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि विवाह से पहले युवराज पदम कुमार को हल्दी, तेल, मेहदी लगाकर महिलाओं द्वार संगीत नृत्य किया गया। युवराज पदम कुमार के माता-पिता महाराजा श्रीधर अशोक जैन व रजवांस महारानी सुसीमा साधना जैन द्वारा पदम कुमार की बारात निकाली गई। बारात में लोग झूमकर नाचते पहुंचे, तोरणद्वार सज्जा कर दूल्हे का दीपकों से आरती उतारी। कौशाम्बी में पदमकुमार का राज्यअभिषेक हुआ। राजा श्रीधर और माता सुसीमा साधना के राजकुमार के दर्शनो के लिए कई राज्यों राजतिलक राज व्यवस्था और 32 मुकटबद्ध राजाओं ने हाथ मे बधाई भेंट लेकर आए। कौशाम्बी नगरी में राजा महाराजों ने भक्ति नृत्य करते हुए खुशी जहीर की। यह देखकर पण्डाल में उपस्थित जनसैलाब भी उमड़ पड़ा।
हाथी की मृत्यु होने से युवराज पदम कुमार को आया वैराग्य, देखकर भावुक होकर रो पड़े लोग
राज्य भ्रमण करते समय युवराज पदम कुमार का इनका प्रिय हाथी जिसका नाम प्रियदर्शी था, उसका दृष्टि के सामने मरण हो जाना और अवधि ज्ञान के बल से अपने पूर्व भव में धातकी खण्ड में स्थित पूर्व विदेह की वत्स देश की सुसीमा नगरी में पिहितास्त्रव नामक केवली भगवान के पादमूल में मुनि दीक्षा को धारण किया था, और सल्लेखना धारण कर तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया था। यही जाति स्मरण ही उनके वैराग्य का कारण बना। वैराग्य के मार्मिक प्रसंग की क्रियाओं को देख पण्डाल में उपस्थित जन समुदाय भावुक हो गए। पदम कुमार को वैराग्योत्पति के बाद लौकांतिक देवों द्वारा स्तवन उनका दीक्षावन की ओर प्रस्थान व दीक्षा के साथ तप कल्याणक की क्रियाएं की गई। माता-पिता और राज्य के लोगों ने रोकाने की कोशिश की मगर वह नहीं रुके।
वैराग्य के उपंरात हुई दीक्षा, मुनिश्री ने पदम कुमार से पदम महामुनिराज नाम दिया
पदम कुमार को जैसे ही इस संसार से वैराग्य मिला, उन्होंने प्रियंगु नामक वृक्ष के नीचे पंच मुष्टि केशलोंच करके सिद्धेभ्य: बोलते जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण करते है। दीक्षा के संस्कार के साथ पदम कुमार से पदम महामुनिराज नाम मुनिश्री विनय सागर ने दिया। मुनि पदम सागर को नवीन पिच्छी राहुल पूजा अहमदाबाद और कमण्डल का सौभाग्य सरोज बोहरा ग्वालियर ने भेंट की।
भगवान का ज्ञान कल्याणक एवं समवशरण की रचना आज
महोत्सव के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि 23 दिसंबर को सुबह छह बजे से जाप्य, नित्य नियम पूजन, ज्ञान कल्याणक, मंगल प्रवचन एवं मुनि पदम का प्रथम आहारचार्य के उपरांत मुनिश्री संसघ द्वारा प्राण प्रतिष्ठा, सूरिमंत्र, केवल ज्ञानोत्पति, समवशरण रचना, दिव्यध्वनि केवल ज्ञान होगा। शाम 6:30 बजे से आरती सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।