ओला पीड़ितों की राशि फर्जी खातों में डालने वाले पटवारियों को नहीं दिखाई हवालात

अपराध दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने नही की कोई ठोस कार्रवाई

भिण्ड, 10 अगस्त। गोहद तहसील अंतर्गत आने वाले तीन दर्जन के आस-पास ग्रामों में वर्ष 2020 में हुई ओलावृष्टि से हजारों किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी, सरकार द्वारा मौका स्थल पंचनामा के आधार पर ओला प्रभावित क्षेत्र के किसानों को ओला राहत राशि लगभग 32 करोड़ स्वीकृत की गई थी, यह राशि सही किसानों के खाते में ना जाते हुए फर्जी खातों में पहुंचाई गई। किसान जो हकीकत में ओला प्रभावित था, जिसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी, उसके खाते में शासन से मिलने वाली आर्थिक मदद आज तक नहीं पहुंच सकी है।
जब इस बात की शिकायत आना प्रारंभ हुई तो उन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम शुभम शर्मा तहसीलदार रामजीलाल वर्मा ने तत्काल छह सदस्यीय दल गठित किया। जब जांच प्रारंभ हुई तो सभी संलिप्त अधिकारी और कर्मचारी घबरा गए। शिकायत सही पाई गई। फर्जी किसानों के खातों में कई बार रुपए डाले गए, तभी ग्राम पंचायत बरौना के मजरा केथोदा के 38 किसानों ने भी ओलावृष्टि में फसल का मुआवजा न मिलने की शिकायत की तो एसडीएम ने वहां भी पुन: दल बनाकर जांच प्रारंभ कराई तब इनके भ्रष्टाचार की कहानी सबके सामने आ गई किसानों को दी जाने वाली राहत राशि पटवारी और तहसील के अन्य अधिकारी कर्मचारियों की सांठ-गांठ से फर्जी खातों में डाली गई फर्जी खातों में डालने का क्रम कुछ इस प्रकार रहा, खाता धारक का नाम सही, बैंक पासबुक सही, केवल उसका खाता नंबर एडिटिंग कर दिया गया। सब ट्रेजरी कार्यालय से भी फर्जी एडिटिंग किए गए खाते में राशि डाल दी गई।
ओला घोटाला करने वाले पटवारी कुलदीप, निशांत, संजीव दीक्षित से एसडीएम शुभम शर्मा, तहसीलदार रामजीलाल वर्मा द्वारा फर्जी तरीके से किसानों के खातों में डाली गई राशि कि जब जानकारी ली गई तो तीनों पटवारियों ने उपरोक्त राशि जमा करने का आश्वासन दिया और बाद में कुलदीप जाटव ने लगभग 65 लाख रुपए और निशांत खरे ने लगभग 35 लाख रुपए और संजीव दीक्षित ने लगभग पांच लाख रुपए शासन के खजाने में जमा करा दिए हैं। शेष रुपया पटवारियों द्वारा जमा कराए जाने का क्रम चली ही रहा था कि तभी मामला प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने विधानसभा में लगा दिया और प्रेस वार्ता कर मामला जनमानस के बीच खुलासा कर दिया। स्थानीय प्रशासन ने तत्काल दोनों पटवारी कुलदीप और निशांत खरे के विरुद्ध थाना गोहद में 420 भादवि गबन का अपराध दर्ज करा दिया। संजीव दीक्षित को तत्काल निलंबित कर दिया और अन्य पटवारी रामनिवास लोहिया और संजय जरारिया के विरुद्ध ओलावृष्टि की जांच प्रारंभ कर दी गई है। ज्ञात रहे कि वर्ष 2020 में लगभग 42 ग्रामों में ओलावृष्टि हुई थी, जिसमें लगभग 18 पटवारियों ने ओला राहत राशि वितरित कराई थी, यह सभी लोग जांच के घेरे में हैं।
दोनों पटवारियों के विरुद्ध गोहद थाने में अपराध दर्ज होने के बाद संपूर्ण रिकॉर्ड थाने में पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले की गंभीरता से जांच की जाए तो अकेले गोहद तहसील में ओलावृष्टि 20 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर हो सकता है। जिसमें सैकड़ों लोग इस प्रकरण में संलिप्त पाए जाएंगे। एक सैकड़ा से अधिक खाते ऐसे हे जिनके खातों में एक लाख से लेकर पांच लाख रुपए तक की राशि कई बार डाली गई है, पति-पत्नी, पिता-माता, साली जीजा, भाई, भतीजा, भाभी, सास-ससुर, साले, व्यापारी आदि लोगों के खातों में राशि पहुंचाई गई है।

इनका कहना है-

तहसीलदार रामजीलाल वर्मा द्वारा दो पटवारियों के विरुद्ध ओलावृष्टि में किए गए गबन का अपराध दर्ज कराया गया है। मामला दर्ज कर जांच विवेचना में जा जारी है।
गोपाल सिकरवार, थाना प्रभारी गोहद
ओला प्रभावित किसानों की राशि फर्जी खातेदारों के खातों में डाली गई है इस बात की जांच में पुष्टि हुई संबंधित पटवारियों के विरुद्ध निलंबित कर विभागीय जांच प्रारंभ की गई है साथ ही उनके विरुद्ध गबन का अपराध थाना गोहद में दर्ज कराया गया है।
शुभम शर्मा, एसडीएम गोहद