केवल मनुष्य देह में ही भजन किया जा सकता है : पाठक जी महाराज

अकोड़ा मे चल रही है भव्य श्रीराम कथा

भिण्ड, 01 अक्टूबर। नगर परिषद अकोड़ा में चल रही नौ दिवसीय रामकथा के छटवे दिन शनिवार को संत श्री अनिल पाठक जी महाराज ने कहा कि मनुष्य कहता है कि हम क्या करें, हम तो अपने व्यस्त जीवन में अपने धंधे से समय निकाल कर बहुत प्रयास करते हैं भगवान का भजन करने की। परंतु हम क्या करें, जब तक भगवान की कृपा नहीं होती तब तक भजन कैसे किया जा सकता है, तो गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि ‘बिनु सत्संग विवेक न होई राम कृपा बिनु शुलभ न सोईÓ।
संत श्री अनिल पाठक जी महाराज ने कहा कि मनुष्य कहता है कि जब राम की कृपा होगी भजन तब होगा, परंतु राम ने यह देह दिया है इसका अर्थ यही है कि केवल मनुष्य देह में ही भजन किया जा सकता है और किसी में यह संभव ही नहीं, तो भजन तो तुम्हें करना है, परमात्मा न कभी जन्मता है, न मरता है। इसलिय मनुष्य देह में जन्मना मरना तो लगा ही रहता है, पर जो मनुष्य के जीवन में राम-नाम का खाता एक बार खुल गया, वह जन्म-जन्मों तक मनुष्य का हो जाता है। संसार का साथ संसार का प्रेम केवल आपके देखते मिलता है। परंतु राम-नाम का जो प्रेम है वह केवल्य एकमात्र ऐसा है जो आपको हर जन्म में आपको ब्याज समेत मिल जाएगा। शरीर का जन्मना, बाल अवस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था एवं मरण यह तो जीवन की सत्यता ही है एवं आत्मा न तो जन्मती है, न ही मरती है, तो फिर हमारा कार्य ही क्या रहा हमें किस बात की चिंता ईश्वर ने आंखों पर पलक दी है एवं आपकी श्वांस भी ईश्वर चलाता है, यदि यह दोनों क्रियाएं मनुष्य के हाथों में छोड़ दी जाएं तो व्यक्ति कुछ ही घण्टों में मर जाता है, क्योंकि आज मनुष्य ने इन संसारी कार्यों में इतनी व्यर्थ व्यवस्थता बना रखी है कि उसे कुछ ध्येय ही नहीं रहता। तो जब फिर हमारा इन महत्वपूर्ण क्रियाओं में भी कुछ हस्तक्षेप ही नहीं तो हम थोड़ा समय भजन में क्यों नहीं दे सकते और इससे ज्यादा अब राम की कृपा और कितनी सरल हो सकती है। कथा में राम- केवट प्रसंग की दिव्य झांकी के दर्शन कराए गए।