सागर/रहली, 18 अगस्त। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट)/ द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश तहसील रहली, जिला सागर श्री आर प्रजापति के न्यायालय ने नाबालिग को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म कर गर्भवती करने वाले अभियुक्त शनि उर्फ प्रिंस पुत्र शीतलचंद्र जैन उम्र 33 वर्ष निवासी थाना अंतर्गत रहली, जिला सागर को धारा 376(2)एन भादंवि, सहपठित धारा 3/4, सहपठित धारा 5(आई)2 पॉक्सो एक्ट के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी आशीष त्रिपाठी ने की।
जिला अभियोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि अभियुक्त शनि ने नाबालिग अभियोक्त्री के साथ दो जुलाई 2013 से पांच मई 2016 की रात तक लगातार उसकी इच्छा के विरुद्ध दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद अभियोक्त्री गर्भवती हो गई, उसके पश्चात पुत्री संतान को जन्म देने के तत्काल पश्चात नाबालिग अभियोक्त्री ने अपने पिता के साथ जाकर थाना रहली में पांच मई 2016 को रिपोर्ट लिखाई, जिसमें उसमें कहा कि उसके नाबालिग अवस्था में अभियुक्त ने उसको धमकी देकर उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई और उसके बाद एक पुत्री संतान को जन्म दिया। अभियुक्त शनि ने दो जुलाई 2013 को पहली बार उससे संपर्क किया और स्वयं के मरने का डर बताकर धमकाकर उसके साथ रहली में दोपहर बाद तीन बजे उसे लेकर गया और उसके साथ कमरे में बंद कर उसकी सहमति के बिना डरा धमकाकर उसके जबरदस्ती दुष्कर्म किया और ऐसा उसने अलग-अलग समय में अलग-अलग जगह एकांत में धमकी देकर बुरा काम करता रहा, जिस कारण वह गर्भवती हो गई। जब उसने अभियुक्त को यह बात बताई तो उसके बाद भी पांच मई 2016 तक आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म कियाऔर धमकी देकर कहा कि यदि यह बात किसी को बताई तो वह मर जाएगा, अन्यथा वह उससे शादी कर लेगा, यह बात अभियोक्त्री के गर्भवती होने के पश्चात डिलेवरी होने के एक दिन पहले अभियोक्त्री ने अपनी मां को बताई, तब उसकी मां ने अपने पति को यह बात बताई और परिवार सहित जब रिपोर्ट करने जाने लगे तो इस बात का पता चलने पर अभियुक्त के परिवार वाले समझौता करने के लिए दबाव बनाने लगे, फिर भी न मानकर घटना की रिपोर्ट थाना रहली में की गई। अभियोक्त्री की उक्त रिपोर्ट पर थाना रहली में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लेकर उसका मेडीकल परीक्षण कराया गया। अभियोक्त्री व अन्य साक्षियों के धारा 161 दंप्रसं के तहत कथन लिए गए। आरोपी को गिरफ्तार कर पंचनामा बनाया गया। अभियोक्त्री व अभियुक्त का डीएनए कराया गया, जिसमें अभियोक्त्री व अभियुक्त को नवजात का जैविक माता-पिता बताया गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने उभय पक्ष को सुना और अभियोजन द्वारा प्रस्तुत सबूतों और दलीलों से सहमत होते हुए अभियुक्त शनि उर्फ प्रिंस जैन को 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित करने का निर्णय पारित किया है।