सरकारी अस्पताल बन जाने के बावजूद भी इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं ग्रामीण

भिण्ड, 10 मई। शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र मालनपुर 15 सितंबर 2018 में 131.33 लाख की लागत में बनकर तैयार हो गया था। जिससे मालनपुर क्षेत्र की जनता को उचित इलाज मिल सके और ग्वालियर व गोहद जाने आने में समय न खराब हो, मगर आलम यह है कि स्टाफ व डॉक्टर न होने के कारण निजी क्लीनिक व निजी अस्पताल में दवाई लेने पर मजबूर है। जबकि आज मालनपुर क्षेत्र की आबादी करीब 18 हजार से भी ज्यादा है, लेकिन अस्पताल में केवल एक डॉक्टर के भरोसे पर ही चल रहा है, जिसका फायदा सीधे निजी क्लीनिक खोलकर बैठे झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। महंगाई के बाद बीमारी की मार भी मध्यम वर्ग के लोग झेलने पर मजबूर हैं। अस्पताल का आलम यह है कि पूरी तरह से दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। जैसे-तैसे कर समय निकाल कर डॉक्टर को दिखाकर दवा लिखवा भी लेते हैं तो स्वास्थ्य केन्द्र में वह दवाई मिली नहीं पाती, कई लोगों को मायूस होकर इलाज के लिए ग्वालियर या फिर गोहद जाना पड़ रहा है।

दवाई नहीं मिलने से दर-दर भटक रहे हैं लोग

वार्ड क्र.तीन मालनपुर निवासी जयसिंह कुशवाह का कहना है कि जैसे तैसे कर दवाई का पर्चा बनवा लिया, चेक करवा लिया, लेकिन अस्पताल में दवाई ही उपलब्ध नहीं थी, मजबूर होकर ऐसी भीषण गर्मी में घर वापस आना पड़ा, शाम को किसी निजी मेडिकल से दवाई लेने पर मजबूर हुए। वार्ड क्र.10 निवासी लक्ष्मीबाई का कहना है कि हम अपनी बहू को दिखाने के लिए मालनपुर में बने स्वास्थ्य केन्द्र अस्पताल गए मगर महिला डॉक्टर ना होने से आए मजबूर होकर ग्वालियर जाना पड़ा।

इनका कहना है-

सीएमएचओ डॉ. सुधीर कुमार व्यास का कहना है कि हम मालनपुर के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर्स की व्यवस्था एवं दवाईयां किस कारण उपलब्ध नहीं हो रही हैं, मालनपुर पीएससी पर पहुंचकर जानकारी लेंगे।
बीएमओ डॉ. आलोक शर्मा का कहना है कि जल्दी से जल्दी डॉक्टर की व्यवस्था करा दूंगा और आपके द्वारा मुझे जानकारी मिली है कि मरीजों को दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं, इस संबंध में मालनपुर हॉस्पिटल में बात करूंगा और दवाइयां जल्द उपलब्ध कराई जाएंगी।