चंबल में नारी स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी सिलार बाबा ने
भिण्ड, 06 मार्च। मां चिल्लासन देवी मन्दिर प्रांगण ग्राम भोनपुरा में चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन कथा व्यास पं. किशोरचंद्र रामायणी बीकानेर ने कहा कि आज नारी सम्मान स्वाभिमान की तमाम बातें सरकारें कर रही हैं। हर गली चौराहे पर चर्चा हो रही है। लेकिन प्रभु श्रीराम से बड़ा नारी स्वाभिमान की रक्षा करने वाला अभी तक कोई भी हुआ नहीं है।
रामायणी ने कहा कि राम साक्षात धर्म है, राम साक्षात धर्म के विग्रह हैं। नारी स्वाभिमान सम्मान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम ने ताड़का, अहिल्या, मां जानकी, तीनों का स्वाभिमान सम्मान अलग-अलग रूप में किया है। ताड़का का उद्धार किया अहिल्या का सत्कार किया, मां जानकी का श्रृंगार किया, यह उदाहरण साक्षात दुनिया में कृतार्थ है कि भगवान श्रीराम से बड़ा नारी सम्मान स्वाभिमान की रक्षा करने वाला कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि संवत 16 ईसवी में जब चंबल की पावन घाटी की कमान मुगल बादशाह जहांगीर ने अपने साले फोर्सब्रिजबाज खान को सौंपी, तब उसने बड़ा अधर्म और नारियों के साथ दुव्र्यवहार, अत्याचार, अन्याय, अधर्म करना प्रारंभ किया। तब सिलार वाले बाबा ने उसके आतंक को समाप्त करने के लिए नारी के स्वाभिमान की रक्षा के लिए उसका अंत किया। चंबल में भी ऐसे महान संत हुए हैं जिन्होंने नारी सम्मान स्वाभिमान की रक्षा का उदाहरण दिया है।
श्रीराम कथा में परीक्षत बदन सिंह तोमर दद्दू, पत्नी कमला देवी तोमर, भगवान सिंह तोमर, सुरेन्द्र सिंह तोमर, अरुण प्रताप सिंह तोमर, बलवीर सिंह तोमर, रमेश सिंह, अनिरुद्ध प्रताप सिंह, राहुल सिंह भदौरिया, अवधेश सिंह तोमर, छोटू, अशोक सिंह सिकरवार, बृजेश सिंह तोमर, अशोक सिंह, पटेल तोमर इत्यादि हजारों श्रीराम कथा श्रवण करने वाले भक्तगण मौजूद रहे।