देश के हर राज्य का कृषि रोडमैप तैयार कराया जाएगा : शिवराज सिंह

– सभी किसानों की आय में वृद्धि के लिए सरकार कटिबद्ध
– 64वीं अभा गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी में शामिल हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान
– प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कंषाना ने की सहभागिता

ग्वालियर, 26 अगस्त। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ है। इसलिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ खेती की लागत घटाने व कृषि उत्पादकता बढाने का काम कर रही है। इससे किसानों की आय बढेगी। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए फसलवार किसानों, कृषि वैज्ञानिकों व कृषि उद्यमियों से साझा चर्चा कर देश के हर राज्य का कृषि रोडमैप तैयार कराया जाएगा। खेती का यह रोडमैप पानी, मिट्टी की प्रकृति व जलवायु का ध्यान में रखकर तैयार होगा। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि कुछ किसान ही नहीं अपितु सभी किसानों की आय में वृद्धि हो। वे ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगडी सभागार में आयोजित हो रही तीन दिवसीय 64वी अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी के दूसरे दिन कृषि वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों, कृषि उद्यमियों एवं कृषि विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मप्र के किसान कल्याण व कृषि विकास मंत्री ऐदल सिंह कंषाना मंचासीन थे।
इस कृषक गोष्ठी में देश के 12 राज्यों से आए कृषि वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी एवं कृषि विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं। गोष्ठी के दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के कृषि अनुसंधान एवं महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद प्रो. एमएल जाट, अपर सचिव प्रमोद कुमार, उप महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. एके नायक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक रतन तिवारी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला और कृषि विश्वविद्यालय हिसार हरियाणा के कुलपति डॉ. बीआर कम्बोज सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मंचासीन थे।
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि गोष्ठी में मौजूद कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे कृषि उत्पादकता बढाने व खेती की लागत घटाने के लिए फसल विविधीकरण व एकीकृत खेती को बढावा दें। साथ ही लैब (प्रयोगशाला) व लैण्ड (जमीन) को जोडने पर जोर देते हुए कहा कि कृषि के क्षेत्र में हो रहे नए-नए अनुसंधान किसानों तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में आयोजित हो रही ‘अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी’ में विचार मंथन से निकलकर आए सुझावों पर आगामी 14 व 15 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होने जा रही रबी कॉन्फ्रेंस में चर्चा की जाएगी। साथ ही इन सुझावों को पूरे देश में लागू किया जाएगा। रबी कॉन्फ्रेंस में देश के सभी राज्यों के कृषि मंत्री व वरिष्ठ अधिकारी एवं कृषि उद्यमी आमंत्रित किए जाएंगे।
आरंभ में केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान सहित सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कृषक गोष्ठी के दूसरे दिन के सत्र का शुभारंभ किया। चौहान ने इस अवसर पर देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने वाले डॉ. स्वामीनाथन और राजमाता विजयाराजे सिंधिया का स्मरण कर उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा गेहूं व जौ सहित अन्य फसलों की विकसित किस्म तैयार करने वाले किसानों व संस्थाओं को मान पट्टिकाएं देकर सम्मानित किया। साथ ही उत्कृष्ट परीक्षण एवं रिपोर्टिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ एआईसीआरपी केन्द्र पुरस्कार भी प्रदान किए। इस अवसर पर उन्नत कृषि पर केन्द्रित पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया गया ।
देश में गेहूं का रिकार्ड 117.5 मिलियन टन उत्पादन
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में इस साल गेहूं का रिकार्ड 117.5 मिलियन टन उत्पादन हुआ है। सरकार की किसान हितैषी योजनाओं की बदौलत पिछले 10 सालों में कृषि उत्पादन में 44 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है। सरकार का प्रयास है कि वैश्विक उत्पादन के समकक्ष हमारे देश में कृषि उत्पादन हो। उन्होंने गेहूं को भारत की खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास एवं ग्रामीण आजीविका का स्तंभ बताया। आज हमारा देश गेहूं के प्रचुर उत्पादन की बदौलत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है और विश्व के अन्य देशों का पेट भरने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि भारत संपूर्ण विश्व के लिए फूड बास्केट बने। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों के हित में सुधार करने की बात भी कही।
दलहन व तिलहन उत्पादन को दिया जायेगा बढावा
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल विविधीकरण पर जोर देते हुए कहा कि देश को जिन फसलों की ज्यादा जरूरत है उनका उत्पादन बढाया जाए। इस दिशा में सरकार दलहन व तिलहन उत्पादन को विशेष बढावा देगी, जिससे दालों के आयात की जरूरत न पडे। उन्होंने कहा कि सरकार खासतौर पर तुअर, मसूर, सूरजमुखी, चना, मटर इत्यादि फसलों को विशेष प्रोत्साहन देगी। इस उद्देश्य से कृषि वैज्ञानिकों को राज्यवार ‘वन टीम-वन टास्क’ दिया जाएगा।
उत्कृष्ट उर्वरक, कीटनाशक व दवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार कटिबद्ध
किसानों को उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले उर्वरक, कीटनाशक व दवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार ने कीटनाशक व दवाएं तैयार करने वाली कंपनियों के उत्पादों की निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत आईसीएआर एवं कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से जांच कराई है। पहले देश में लगभग 30 हजार प्रकार के पेस्टीसाइट व दवाओं का विक्रय होता था। जांच शुरू होने पर 22 हजार प्रकार की दवाईयां बाजार से गायब हो गई हैं और जांच के बाद अब तक 642 प्रकार की पेस्टीसाइट व दवाएं प्रमाणित पाई गई हैं। इन्हें ही विक्रय करने की अनुमति है।
स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का दिलाया संकल्प
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 64वी अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी में मौजूद प्रतिभागियों को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का सामूहिक संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि दुनिया की कोई भी ताकत हमें निर्देशित नहीं कर सकती। इसलिए हम सब देश में उपलब्ध स्वदेशी वस्तुएं ही खरीदें और उनका इस्तेमाल करें, इससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
किसानों को जैविक खेती के लिये प्रोत्साहित करें : कंषाना
प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ऐदल सिंह कंषाना ने कहा कि खुशी की बात है कि सरकार की किसान हितैषी योजनाओं की बदौलत मध्य प्रदेश सात बार कृषि कर्मण्य अवार्ड से सम्मानित हो चुका है। उन्होंने उत्पादन बढने के लिए किसानों व कृषि वैज्ञानिकों को बधाई दी। साथ ही रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से सामने आ रहे दुष्परिणामों के प्रति चिंता जाहिर करते हुए कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वे किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि किसान खुशहाल होंगे तो देश भी खुशहाल होगा।
प्रगतिशील किसानों व एफपीओ के प्रतिनिधियों ने सफलता के अनुभव साझा किए
देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रगतिशील किसानों ने इस अवसर पर अपनी सफलता के अनुभव साझा किए। इन किसानों में संरक्षित खेती कर रहे कृषक विकास ने बताया कि वह 28 क्विंटल तक प्रति एकड गेहूं का उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। अलीराजपुर मप्र से आए कृषक युवराज सिंह ने बताया कि उन्होंने 6 हजार आम के पेड लगाए हैं, इनसे वर्ष 2025 में उन्हें 20 लाख रुपए की आमदनी हुई है। इस खेती से उनकी आय 10 गुना बढी है। इसी तरह पटियाला पंजाब से आए कृषक गुरमीत सिंह का कहना था कि उन्होंने पराली जलाने से तौबा कर ली है। उत्पादन भी बढकर 34 क्विंटल प्रति एकड हो गया है। इसी तरह एफपीओ चला रहे दीपक व बनारसी देवी सहित अन्य प्रतिनिधियों ने एफपीओ के माध्यम से किसानों के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।
इन्होंने भी दी उपयोगी जानकारी
केन्द्रीय कृषि अनुसंधान शिक्षा विभाग के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एमएल जाट ने तीव्र किस्म प्रतिस्थापन, जलवायु-स्मार्ट एवं उच्च उत्पादक किस्मों का विकास, मृदा पोषण प्रबंधन, दलहन एवं तिलहन की ओर विविधीकरण, संसाधन अनुकूलन, सटीक कृषि, समेकित कीट प्रबंधन, जीन संपादन, मशीनीकरण, डिजिटल कृषि तथा कटाई उपरांत मूल्य श्रृंखला विकास पर बल दिया। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने वर्ष 2024-25 में गेहूं उपज की प्रगति का परिणाम बताया। साथ ही 30 मिलियन हेक्टेयर स्थिर क्षेत्र से वर्ष 2030 तक 125 मिलियन टन तथा वर्ष 2050 तक 150 मिलियन टन उत्पादन प्राप्त करने की रणनीति प्रस्तुत की।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला ने मिट्टी में जिंक व सल्फर तत्वों की कमी की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही हरियाणा की तर्ज पर मप्र में भी पराली प्रबंधन नीति लागू करने का आग्रह किया। अपर सचिव केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग प्रमोद कुमार मेहरदा और कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा के कुलपति डॉ. कम्बोज ने भी संबोधित किया।