भिण्ड, 04 अप्रैल। यौगिक क्रियाओं में प्रशिक्षित, नियमित गीता स्वाध्याय करने वाले, के डीआर विद्या निकेतन के संस्थापक स्व. मनोज ऋषीस्वर की प्रथम पुण्य स्मृति में स्थानीय हाउसिंग कॉलोनी में गीता स्वाध्याय पाठ का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण एवं स्व. ऋषीश्वर के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर की गई।
इस अवसर पर विश्व गीता प्रतिष्ठानम के केन्द्रीय महामंत्री विष्णु नारायण तिवारी ने गीता स्वाध्याय पत्र का वाचन किया। उन्होंने गीता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गीता एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जो महाभारत के भीष्म पर्व का एक भाग है, यह ग्रंथ जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालता है जैसे कि कर्म, कर्तव्य, ज्ञान भक्ति और मोक्ष। उन्होंने बताया कि गीता पारिवारिक जीवन के महत्व को भी रेखांकित करती है और सिखाती है कि कैसे परिवार के सदस्यों के साथ प्रेम और स्वभाव से रहना है, उन्होंने घर पर प्रतिदिन गीता स्वाध्याय करने का सभी से आव्हान किया।
इस अवसर पर गीता के मुख्य वक्ता रघुराज दैपुरिया ने त्वमेव माता च पिता त्वमेव के बारे में बताते हुए कहा कि लोग इसका शब्द अर्थ करते हैं। उन्होंने लक्ष्य अर्थ कराया कि वही परमात्मा माता और पिता कैसे दिखता है, माया और ईश्वर मिले होने से एक रूप होने से बंधु रूप में दिखता है। वहीं समरूप साकार निराकार सम होने से सखा रूप में दिखता है, माया से ईश्वर अलग नहीं हो सकता। उन्होंने कर्म की यथार्थ मीमांसा समझाई। सुभाषित का वाचन विश्व गीता प्रतिष्ठानाम के जिला प्रभारी विष्णु कुमार शर्मा ने किया। अमृत वचन केन्द्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र सिंह ने दिए। अंजना चौहान द्वारा गीता के 11 श्लोक का वाचन किया गया। इन श्लोकों की व्याख्या मुख्य वक्ता रघुराज दैपुरिया द्वारा की गई। सेवानिवृत नायब तहसीलदार प्रदीप ऋषीश्वर, अरुण ऋषीश्वर, शशि ऋषीश्वर द्वारा गीता प्रतिष्ठानम के सभी मुख्य वक्ताओं का पट्टिका और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।
कार्यक्रम में महेन्द्र बाबू तिवारी, राजेन्द्र भदौरिया, कृष्ण अवतार शर्मा, रामदुलारे तिवारी, धर्मसिंह भदौरिया, बलदेव शर्मा, केदार शर्मा, पूर्व सरपंच रामप्रकाश शर्मा डब्बल एवं मुलायम सिंह चौहान, केपी कटारे, रामबाबू चौधरी, कुलदीप राजावत, महेन्द्र शर्मा, दुर्गादत्त शर्मा, अमित शर्मा, रामराज वर्मा, अंकित बंसल, शैलेश सक्सेना आदि उपस्थित रहे।