सफलता की कहानी : आठ मुर्राह भैंसों से प्रतिदिन प्राप्त हो रहा लगभग 100 लीटर दूध

– आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन योजना का लाभ लेकर जयसिंह लगातार ले रहे हैं फायदा
– जानवरों से प्राप्त गोबर से जैविक खाद तैयार कर खेतों में कर रहे हैं उपयोग

भिण्ड, 04 अक्टूबर। आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन योजना का लाभ लेकर पशुपालक दूध उत्पादन से बेहतर आमदनी ले रहे हैं। भिण्ड जिले के रौन तहसील के पीछे रहने वाले जयसिंह पुत्र सोलाल सिंह ने आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन योजना का लाभ लेकर आठ मुर्राह भैंसों को खरीदा जिससे प्रतिदिन लगभग 100 लीटर दूध प्राप्त कर आमदनी कर रहे हैं।
पशु पालक किसान जयसिंह ने बताया कि उनके एवं पिता द्वारा विगत कई वर्षों से भैंस पालन का कार्य किया जा रहा है, मेरे पशुओं का स्वास्थ्य खराब होने पर मेरा संपर्क विकास खण्ड रौन में स्थित पशु चिकित्सालय रौन के प्रभारी पशु चिकित्सक से हुआ। जिन्होंने मेरे पशुओं का सफलता पूर्वक उपचार किया तथा साथ ही उन्होंने मेरे डेयरी व्यवसाय को देखकर मुझे आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन योजना का लाभ लेने हेतु प्रोत्साहित किया। जिसके अंतर्गत इस योजना का लाभ उठाने के लिए मेरे द्वारा वर्ष पशु पालन विभाग के माध्यम से बैंक में आवेदन किया गया जिसके अंतर्गत बैंक द्वारा मुझे 3.10 लाख रुपए का ऋण एवं पशु पालन विभाग द्वारा 1.98 लाख रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ तथा मेरे द्वारा 90 हजार रुपए का मार्जिन मनी जमा कराई गई। इस ऋण एवं अनुदान से प्राप्त हुई राशि से मैंने छह मुर्राह भैंसों का क्रय किया। वर्तमान में मेरे पास आठ मुर्राह भैंसें हैं जिनसे मुझे प्रतिदिन 90-100 लीटर दूध प्राप्त हो रहा है, जिसे बाजार में बेचने पर मुझे लगभग 1.10 लाख रुपए की मासिक आमदनी हो रही है। इस आमदनी से मैंने अपना बैंक ऋण जमा कर दिया है और मैं अपने परिवार का जीवन-यापन अच्छे से कर पा रहा हूं, साथ ही कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार कार्यक्रम से मुझे अपने जानवरों की नस्ल सुधारने एवं उनका दूध उत्पादन में वृद्धि होने से भी लाभ हुआ है। इसके साथ ही जानवरों से प्राप्त गोबर से जैविक खाद तैयार कर खेतों में उपयोग कर रहा हूं, जिससे रासायनिक खाद पर निर्भरता कम हुई है एवं फसल उत्पादन में भी बढोतरी हुई है। आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन एक बहुत अच्छी योजना है तथा सभी पशु पालक भाईयों को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए। इस योजना के लिए मैं शासन एवं पशुपालन विभाग का बहुत-बहुत आभारी हूं।