आखिर आतंकवादी नंबर एक कौन?

– राकेश अचल


आज-कल देश अपने यहां के आतंकी नंबर-एक की तलाश में है। भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) ने ये तलाश शायद पूरी कर ली है, इसीलिए इन दोनों दलों के नेता देश के आतंकी नबर वन के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का नाम लेने में गर्व महसूस कर रहे हैं। लेकिन देश में किसका आतंक है और कौन नंबर वन का आतंकी है ये कहने की जरूरत नहीं है। पूरा देश इस हकीकत से भलीभांती वाकिफ है।
राहुल गांधी को देश का नंबर वन आतंकी बताने वाले भाजपा सरकार के रेल राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू को तो इस खोजपूर्ण काम के लिए आगामी गणतंत्र दिवस पर पदम सम्मान से अलंकृत किया जाना चाहिए। कम से कम भाजपा में एक आदमी तो है जो दुनिया का सबसे बडा सच कहें या झूठ पूरी जिम्मेदारी से बोल रहा है। बिट्टू को इस बात की कोई फिक्र नहीं है कि उनके इस आरोप से उनकी सरकार की रेल डिरेल हो सकती है। बिट्टू भाजपा के नए मुल्ले हैं, इसलिए शायद ज्यादा प्याज खा रहे हैं। उनका कोई दोष भी नहीं है। भाजपा के गुण सूत्रों में ही ऐसा कुछ है कि अच्छा खासा आदमी भी यहां आकर बौरा जाता है। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा शरमा और ज्योतिरादित्य सिंधिया इसका सबसे बडा उदाहरण हैं।
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को देश का नंबर वन आतंकवादी कहे जाने पर अपना गुस्सा प्रकट किया है। स्वाभाविक है, लेकिन कांग्रेसियों ने जिन लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत की है उनके खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा? इस देश में जिस तरह की न्याय संहिता है उसमें ऐसे संभाषण पर सजा का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे संभाषण करने वालों को तो उनकी पार्टी सम्मानित करती है। मुमकिन है कि बिट्टू सर को प्रधानमंत्री फुल टाइम रेल मंत्री बना दें, राहुल गांधी को गरियाने के एवज में। राहुल गांधी देश की सियासत में नंबर वन के आतंकवादी हैं या नहीं, ये देश की जनता ने चार जून 2024 को दिए अपने जनादेश के जरिए जता दिया है, बता दिया है। जनादेश के चलते ही राहुल गांधी आज लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं। राहुल को देश का नंबर वन आतंकी कहने का मतलब इस देश का समूचा विपक्ष आतंकी है और विपक्ष के आतंक से सत्ता पक्ष थर-थर कांप रहा है। हालांकि ये अतिश्योक्ति हो सकती है। इसके ऊपर विवाद भी हो सकता है, क्योंकि इस देश में आतंकियों को पहचानने को लेकर हमेशा भ्रम की स्थितियां रही हैं। इसी देश में बहुत से लोग हैं जो राहुल की वजाय दूसरे लोगों को आतंकी मानते हैं।
देश में 11वें साल में किसका आतंक है ये चिन्हित करना आसान काम नहीं है। क्योंकि ये राष्ट्रद्रोह माना जाएगा और कम से कम मेरे जैसा अदना सा लेखक तो ये जोखिम ले ही नहीं सकता। मुझे न संविधान का संरक्षण हांसिल हो पाएगा और न राजनीतिक संरक्षण, ये तो नसीब वालों को ही हांसिल है। बिट्टू हों या बिट्टा इससे कोई फर्क नहीं पडता। दुनिया जानती है कि राहुल गांधी किस तरह के आतंकवादी हैं? उनकी दादी और उनके पिता गोलियों और बारूद से शायद इसलिए नहीं भूने गए कि वे बहुत बडे देश सेवक हैं, बल्कि उनकी हत्या शायद इसीलिए की गई कि वे देश के सबसे बडे आतंकवादी थे। यदि इस देश में इस तरह के लोग आतांकवादी माने जाएंगे तो इस देश के सनातनी होने पर कम से कम मुझे तो गर्व नहीं होगा। मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो उंगली काटकर शहीद होने वालों को अपना नायक मानते हैं। उंगली काटकर शहीद होने वालों की संख्या इस समय देश में लगातार बढ रही है और सीने पर गोली खाने वालों की संख्या लगातार कम हो रही है।
आपको यह बताना आवश्यक है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ विवादित और धमकी भरे बयान देने के लिए कांग्रेस नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के चार नेताओं के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। जिन नेताओं के खिलाफ शिकायत दी गई है उनमें रेल राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू भी शामिल हैं। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन ने बुधवार की सुबह दिल्ली के तुगलक रोड थाने में यह शिकायत दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने दिल्ली में पिछले सप्ताह राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी दी है। माकन के मुताबिक, भाजपा नेता ने कहा था कि राहुल गांधी संभल जाओ नहीं तो आपका भी वही हाल होगा जो आपकी दादी का हुआ था।
सवाल ये है कि यदि राहुल गांधी को केन्द्र सरकार का एक मंत्री देश का नंबर आंतकी मानता है तो सरकार मौन क्यों है? क्यों नहीं राहुल गांधी को गिरफ्तार कर जेल भेजती? और यदि सरकार को अपने मंत्री के बयान पर यकीन नहीं है तो उसे विक्षप्त मानकर फौरन मंत्रिमण्डल से बाहर क्यों नहीं करती? क्या सरकार नहीं मानती कि रेल राज्यमंत्री के बयान से दुनिया में सरकार के निकम्मेपन को लेकर बदनामी नहीं हुई होगी। क्या दुनिया ये नहीं सोचेगी कि भारत में कैसी सरकार है, जिसके रहते देश की संसद में प्रतिपक्ष का नेता देश का नंबर वन आतंकी है, मुझे पता है और पूरे देश को पता है कि देश की सियासत में राहुल के लिए सुभाषित वाक्य बोलने वालों का संरक्षक कौन है? किसने इस तरह की जहरीली शब्दावली का इस्तेमाल शुरू किया था। एक जमाने में कांग्रेस के विद्वानों ने भी देश के प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए भी इसी तरह के सुभाषित इस्तेमाल किए थे, लेकिन राहुल ने इस पर रोक लगा दी। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी रहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ बयानबाजी को बंद कराया था।
बिट्टू तो बिट्टू हैं उन्हें कोसने से क्या लाभ? वे तो वही कर रहे हैं जिससे उनके आका खुश हों। उनके आकाओं ने अभी हाल ही में जमशेदपुर में कांग्रेस, राजद और झामुमो को झारखण्ड का दुश्मन कहा था। आकाओं को खुश रखना गुलामों का काम होता ही है। अब बिट्टू कोई राहुल गांधी का स्तुतिगान तो करने से रहे। इसलिए उन्हें माफ कर देना चाहिए। राहुल और उनके परिवार ने तो इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी के हत्यारों तक को माफ कर दिया था। बिट्टू तो बिट्टू है। उन्होंने अभी तक कोई जघन्य अपराध नहीं किया है सिवाय जुबानी जमाखर्च के।
सियासी सुभाषितों का इस्तेमाल करने वालों में केन्द्रीय मंत्री बिट्टू अकेले नहीं हैं। उनके अलावा दिल्ली के पूर्व भाजपा विधायक, महाराष्ट्र के शिवसेना विधायक और उत्तर प्रदेश के एक मंत्री का नाम भी है। आपको हैरानी नहीं होना चाहिए कि आने वाले दिनों में सत्तापक्ष के नेता ही नहीं बल्कि उनकी मातृ संस्था के लोग भी बिट्टू की तर्ज पर विपक्षी नेताओं के लिए नए-नए प्रतिमान गढने लग जाएं। नागपुर का इसमें कोई दोष नहीं है। दोष है नागपुर के शाखामृगों के लिए रचे गए पाठ्यक्रम का। नितिन गडकरी जैसे लोग इस भाषा से कैसे अनभिज्ञ हैं ये हैरानी की बात है।
जैसा कि आप जानते हैं कि जिस तरह शिबाबू (स्वमूत्र) के प्रयोग से देश के एक प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य ठीक रहता था उसी तरह गालियां खाकर एक और प्रधानमंत्री स्वस्थ्य रहते हैं। राहुल गांधी को भी मान लेना चाहिए कि उन्हें जो उपमाएं दी जा रही हैं वे उनके स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद साबित होंगी, क्योंकि ये पब्लिक है, ये सब जानती है। असली आतंकवादियों को भी और नकली आतंकवादियों को भी। इस देश में आतंकवाद की फसल पनपती नहीं है, फिर चाहे उसकी फसल किसी गुरुद्वारे में बोई जाए या किसी मदरसे या मन्दिर में।