आत्महत्या का दुष्प्रेरण करने वाले आरोपियों की जमानत निरस्त

– दहेज के लिए लगातार प्रताडित की जा रही थी मृतका

भोपाल, 03 अगस्त। पंचम अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश (ओएडब्लू) भोपाल विनय कुमार भारद्वाज के न्यायालय ने दहेज के लिए प्रताडित करने वाले पति निखिल दुबे एवं सास आशा दुबे की अग्रिम जमानत निरस्त कर दी है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक सुश्री प्रीति श्रीवास्तव ने की।
संभागीय जनसंपर्क अधिकारी भोपाल मनोज त्रिपाठी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि नौ जुलाई 2024 को डॉक्टर एम्स अस्पताल द्वारा थाना गोविन्दपुरा में मृतिका पूजा थापक द्वारा फांसी लगाने से इलाज के दौरान मृत्यु हो जाने की सूचना पर मर्ग कायमी कर मर्ग जांच के दौरान मृतिका का पोस्ट मार्टम कराया गया तथा मृतिका के पिता, मां, भाई, एवं बहन के कथन लेख किए गए। मृतिका के पिता ने अपने कथनों में बताया कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी में 40 लाख रुपए खर्च किए। उसकी बेटी की सास आशा दुबे एवं पति की मांग पर दहेज का सामान एवं परिवार के सदस्यों को ज्वैलरी दी गई थी और शादी के बाद से ही उनके द्वारा दहेज की मांग की जाने लगी थी एवं उनकी बेटी पर इंदौर में फ्लेट खरीदने का दबाव बना रहे थे तो 19 सितंबर 2023 को 22 लाख आरटीजीएस के माध्यम से जमा किए थे। साथ ही उसके बेटे ने 22/23 जनवरी 2022 को 90 हजार रुपए एवं छह लाख 60 हजार रुपए आरोपी निखिल के खाते में ट्रांसफर किए थे। शादी के पश्चात उसकी बेटी ने यह भी बताया कि उसकी सारी ज्वैलरी सास ने रख ली थी और कहा था कि पहनने के लिए ज्वैलरी अपने घर से लेकर आओ। उसने मई 2024 के अंतिम सप्ताह में दो सेट सोने की ज्वैलरी का उसकी बेटी को दिया था और बेटी की सास एवं पति भोपाल में बडे प्लॉट की मांग कर रहे थे तथा दोनों उसे शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताडित करते थे। मर्ग जांच के दौरान मृतिका के एचडीएफसी बैंक के खाते की पासबुक के स्टेटमेंट की सत्यापित प्रति तथा मृतिका के भाई से मृतिका का एप्पल आईफोन मोबाईल, व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट की छाया प्रतियां तथा भाई के एसडीएफसी बैंक के स्टेटमेंट की छाया प्रतियां जब्त कर जब्ती पत्रक तैयार किए गए। मर्ग जांच में आए सुसंगत तथ्यों से मृतिका के पति नितिन दुबे एवं सास आशा दुबे के विरुद्ध धारा 80, 85, 108 एवं धारा-3 (5) बीएनएस 2023 एवं 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम कायम कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षीगण के कथन अंकित किए गए तथा उनके धारा 194 बीएनएसएस के अंतर्गत कथन न्यायालय में कराए गए।