प्रकरण में पीडिता के पक्षद्रोही होने के बावजूद माता-पिता एवं वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर आरोपी को न्यायालय ने किया दण्डित
सागर, 19 दिसम्बर। तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने एवं उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को दोषी करार देते हुए धारा 376(3) भादंवि के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 5(जे)(आई आई)/6 में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) में आजीवन सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए क्षतिपूर्ति हेतु युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिलाए जाने का आदेश भी पारित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की एवं प्रकरण में विवेचना एसडीओपी पूजा शर्मा द्वारा की गई।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता के पिता) ने 26 फरवरी 2020 को थाना देवरी में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी लडकी (पीडिता) 25 फरवरी को बाजार गई थी जो शाम तक घर नहीं पहुंची, जिसकी तलाश करने पर उसका कोई पता नहीं चला। किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। 28 मार्च 2022 को बालिका को दस्तयाब करने पर उसने अपने कथनों में अभियुक्त द्वारा उसे शादी का झांसा देकर भगा ले जाना एवं जबरन शारीरिक संबंध बनाया जाना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना देवरी पुलिस ने धारा 366ए, 376, 376(2)(एन) भादंसं, पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4, 5/6, एवं एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।