रिश्वत लेने वाले आरोपी को चार वर्ष कारावास एवं 10 हजार का जुर्माना

प्रभारी समिति प्रबंधक के पद पर बहाली का आदेश पक्ष में कराने की ऐवज में ली थी रिश्वत

सागर, 18 दिसम्बर। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) जिला सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने प्रभारी समिति प्रबंधक के पद पर बहाली का आदेश पक्ष में कराने की ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी प्रकाश कोरी को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि पांच नवंबर 2019 को आवेदक रामअवतार पटना ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को संबोधित एक लिखित शिकायती आवेदन इस आशय का दिया कि सेवा सहकारी समिति लखेरी जिला छतरपुर में पदस्थ विक्रेता/ वर्तमान प्रभारी समिति प्रबंधक रामदयाल पटेल ने 21 दिसंबर 2016 को संयुक्त पंजीयक सहकारिता सागर संभाग, सागर के न्यायालय में उसके प्रभारी समिति प्रबंधक के पद पर बहाली के आदेश के विरुद्ध अपील की थी। संयुक्त पंजीयक सहकारिता कार्यालय सागर में शीघ्र लेखक ग्रेड-3 के पद पर पदस्थ अभियुक्त प्रकाश कोरी ने उक्त अपील में उसके पक्ष में आदेश पारित कराने हेतु 50 हजार रुपए रिश्वत की मांग की है, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथो पकडवाना चाहता है, अत: कार्रवाई की जाए। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, विपुस्था लोकायुक्त कार्यालय सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्रवाई हेतु उपपुलिस अधीक्षक राजेश खेडे को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकार्डर दिया गया, इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकार्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात आवेदक द्वारा मांग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्रवाईयां की गईं एवं ट्रेप कार्रवाई आयोजित की गई। नियत दिनांक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदक का इशारा मिलने पर ट्रेप दल ने मौके पर पहुंचकर अभियुक्त प्रकाश कोरी को घेरे में लिया, परिचय आदान-प्रदान के बाद अभियुक्त से रिश्वत राशि के सबंध में पूछा तो उसने 50 हजार रुपए रिश्वत राशि आवेदक से अपने हाथ में लेकर पहनी हुई जींस पेंट की दाहिनी जेब में रख लेना बताया, मौके पर लिखी-पढी की व्यवस्था न होने से अभियुक्त को शासकीय वाहन से पुलिस थाना ले जाकर अग्रिम कार्रवाई की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7, 13(1)(बी), सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सागर आलोक मिश्रा के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।